Author: Ashish Awasthi
दीवाना मैं हूं कौन है दीवानी बताओ मुझेलिख रहा हूं किसकी कहानी बताओ मुझेबहोत तेज़ बज रहे हैं घुंघरू तवायफों केबर्बाद हुई है किसकी जवानी बताओ मुझेथक गए क्या …
राहों के पत्थर देखे इतनेके अब नहीं संभल पाता हूँअपने पीछे चलते चलतेखुद से दूर निकल जाता हूँअब तो कोई रोक लो आकेमैं लीक तोड़ कर जाता हूँफिर न …
मैं शरीफ था इसलिए चुप रहालोगों ने समझा मुझे जवाब नहीं आता जब से शराफत निकाल के फेंकी मैंने अब लोगों को सवाल नहीं आता कुछ सोच कर बख्शे थे …
अब मिलता नहीं, जो आंसू छुपा के रखा था कहींना ही वो जिंदगी जो तन्हा गुज़ारी हैना ही वो बातें जो तुम करती थी कभीना ही वो सपने जो …
जिंदगी जी रहे तो मौत से इंकार मत करना चाहते चलो सबको पर खुद को बेक़रार मत करना जेब बड़ी हो जाये अच्छा ही है ये तो ज़मीर भूल …
मजदूर नहीं तो हम नहीं, आप नहींपुल नहीं,सड़क नहीं कारखानों में भाप नहींघर नहीं, नगर नहीं विकास का कोई माप नहींमज़बूरी नहीं,लाचारी नहीं गरीबी का ये सांप नहींमेहनत नहीं, …
मेरे ख्वाब कभी जो पास तुम्हारे आते चुपके से उनको तुम अपने पास सुलाते धूप शहर की तेज बहोत थी फिर भी हम बच जाते गर तुम गगरी में …
तेरे साथ रहता था मैं बादशाहों की तरह। फ़कीर हो गया हूँ तेरे जाने के बाद। रात भर जागता रहा ख्वाबों की तलाश में। नींद आयी भी मुझे …