Author: अरुण अग्रवाल
इरादें मज़बूत होने ही चाहिए, अवसर ऐसे जाने नहीं चाहिए ,कुछ द्वन्द भीतर घात कर रहा, उसे अवसर दिया जाना नहीं चाहिए ।नियंत्रण में सभी भाव रहें, निष्प्रभाव हुए …
सब कुछ असहज सा लगता है, अपना अक्स भी गैर सा लगता है, जब खो जाता हूँ दुनिया की कश्मकश में, हर एक से बैर सा लगता है। जली …
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है क्यूँ ऐसे खडे रूकावट बन, तुम्हारी संतानों को चलना है क्या निज आनंद अनुभव हेतु, प्रकृति की जडें जला …
वो खेलती बिटिया, वो डोलती बिटिया, समय के हर तार को वो छेड़ती बिटिया। कैसे नए-2 वो अक्सर चेहरे बनाती हैं, बिटिया तो रोते हुए भी, कितना हंसाती है। …
राहगिर हूं मैं राह में, न जाने क्या-2 देख रहा, हंसे कोई, कोई दर्द में, फिर भी पथ मेरा न थम रहा। कोई सपनों को सजाता है, इन्हें कोई …
वो हालात के दबाव में दब गया, मेरा किसान कर्ज के बोझ में दब गया। ऐसे हालात आखिर पैदा ही क्यों होते हैं, जो पैदा कर रहे वो ही …
यूँ ठहरा है वक्त वहीं, कुछ भी तो नया नहीं होता। सोच बदले तो सब बदले, कुछ यूँ ही नया नहीं होता।। वो ही छीना-झपटी, दौड़-भाग, कैसे कहूँ कुछ …
खुशहाल हो चले सभी, भूल सभी विवाद को, चल चले फैलाने विश्व में, शांति के संवाद को कुछ भी हासिल हुआ नहीं, जंग अनेक हो चुकी, कुछ तो पा …
बंधे ये लफ्ज हैं सारे, बंधी हैं हरकतें सारी । कसा शिकंजा सांसों पर, चलती है नब्ज भी भारी ।। इश्क ये लूट लेता है जहाँ की सारी ही …
यूँ नोंचती बचपन को निगाहें, और वो जान बेजान हो जाती हैं। लड़कियाँ नजरों को झुकाए-झकाए, बिन बचपन बड़ी हो जाती हैं।। बचपन में माँ की गोद में खतरा, …
वीर विवेक, बल, ज्ञान धनी, कुछ अचरज क्या कृपाण तनी । पी लेते लहू पिशाचों का, रहे रक्त मंडित तलवार सनी ।। यूँ न धरो तुम धार कंठ, सब …
रंग रोशनी के भर देना, जीवन किसी का आबाद करो। खुशी से मन लहरा जाए, ऐसे सभी से संवाद करो।। दीप मन के जले त्यौहार में, अंधेरा मन से …
तू प्यार है मेरा मुझे अब कोई गम नहीं, समेटे तेरी चाह को और चाह एकदम नहीं। खिलखिलाती हँसी में जो, प्यार है दबा हुआ, साथ तेरा अब मुझे, …
वो खिल रही थी फूल सी, नज़र किसी की लग गई। दिन-दहाड़े एक दिन, अस्मत उसकी लुट गई।। तब़ीयत से खराब़ वो, कोशिश जीने की कर रही। हर एक …
हे ईश्वर तू कर कृपा, मुझे तनिक मानवता का ज्ञान दे। मेरी सोच में ईर्ष्या न हो, कोई तो ऐसा वरदान दे।। मैं दिन भर दुखी रहा करता, मुझे …
कह तो दूँ पर कैसे, दिल में अहंकार बैठा भी है। उससे चाहत भी है, उससे दिल ऐंठा भी है।। सलामती की दुआ निकलती है खातिर उसके, वो दिल …
रीझा-2 के देख ली दुनिया, अब अलग थलग सा रंग होगा कुछ सिंह ले दहाडेगें, कि हर कोई अब दंग होगा राजा अब न राजा होते, केवल भक्षक होते …
खाकर कसमें जब हम घर छोड़ निकलते हैं देश को बदलने की आशा संग ले निकलते हैं क्यूँ चुनाव आने पर सब विवेक यहाँ मर जाता है कुछ नोट …
क्या करूँ आज मैं तनहा जैसा क्या कहूँ कि हूँ ख़ामोश भी वक्त बहता जा रहा मैं वहीं पड़ा हूँ आज भी अलगाव मेरा होने को आतुर, नित निर्दयी …
बहकी बहकी सर सर करती, हवा गूंज के कहती है तेरी महबूबा मेरे ही संग, बड़े नाज़ से रहती है लहर लहर कर मदमस्त पवन में, जुल्फ तुम्हारी उड़ा …
ख़ामोश थी जुबां लेकिन नज़ारा तो साफ था मचलती हुई आँखों में हर आंसू बेपाक था कसमें तो वो खाती थी पर इरादा मेरा साफ था चलते रहते थे …
काल मेरा जयमाल यहाँ, सारा नभ है चरण तले। आना पथिक यहीं होगा ख्वाब़ चाहे अथाह पले।। जलचर नभचर और सभी तुम मेरे अंश से बने हुए। संसार सदा …
कागज़ की कश्ती ले, आ नहीं सकता दरबार तेरे नौका यापन जीवन मेरा, नहीं कर सकता घरबार खड़े मंद मंद मुस्कान ने तेरी, मेरी मति डिगाई है रात रात …
क्यूँ ऐसा बारम्बार हुआ एक लड़की संग बलात्कार हुआ न्याय इन्हें न देने वाला अब बुजदिलों का दरबार हुआ नारी को सम्मान रहित कर हर शख्स यहाँ शर्मसार हुआ …
क्यूँ अँगार उठाए जाते हो, फुँकार लगाए जाते हो जब सबल नहीं व्यक्तित्व तुम्हारा, क्यूँ तलवार उठाए जाते हो अस्तित्व तेरा हम पर निर्भर, दशा तेरी रही बिखर-2, तू …