Author: Er. Anuj Tiwari"Indwar"
चित चोर बड़ा बृजभान सखी भाग -4 यश , पौरुष , प्रेम कलेश मिले । धन , वैभव , ज्ञान विशेष मिले । सुख , शांति , अनंत …
इक रूप अनूप अनूठ धरे । प्रभु द्वापर में अवतार लिए । कर चक्र धरे धनु शारंग को । भुज चार सभी हथियार लिए । मणि कौस्तुभ …
ग़ज़ल :- आये तो तेरे सिवा कोई न आये । गज़लकार :– अनुज तिवारी “इंदवार” बहर :– 2122—2122—2122 बहरे रमल मुसद्दस सालिम रदीफ :– कोई न आये …
गज़ल :– ये उठे तूफान अक्सर जायजा करते नहीँ ।।मापनी :–2122–2122–2122–212दिल में शोले जो रखे हों वो जला करते नहीँ ।क्या डराएगा ज़माना हम डरा करते नहीँ ।नफरतों में …
कुन्डलियां :– सरहद -2 !!सरहद भावों से बनी ,बड़ी विकट विकराल !बंधन के ब्रम्हास्त्र हैं ,जज्बातों के भाल !!जज्बातों के भाल ,जाल बुनती तरकीबें !उलझन के जंजाल ,खाल रिश्तों …
दुर्मिल सवैया :– चितचोर बड़ा बृजभान सखी !! भाग -1 मात्रा-भार :– 112 -112 -112 -112 112 -112 -112 -112 !! 1 !! सुन भानु मुंडेर चढ़ा अब तो …
ग़ज़ल :– ले चल मुझे मैं जहाँ चाहता हूँ !! बहर :– 122-122-122-122 !! हसीं भोर रंगी समा चाहता हूँ ! तु ले चल मुझे मैं जहां चाहता हूँ …
ग़ज़ल :– दुनियाँ वसाओ तो तुम्हे जानें !! अनुज तिवारी “इन्दवार” मेरे अरमान के गुलशन सजाओ तो तुम्हे जानें ! बेशक प्यार की रस्में निभाओ तो तुम्हें जानें !! …
मुक्तक :– आसान लम्हे हो गये !! अनुज तिवारी “इन्दवार” वक्त जब बस में हुआ आसान लम्हे हो गये ! और मुश्किल वक्त पर शैतान लम्हे हो गये ! …
सचिन
कलियों से मुहब्बत क्या करना !! अनुज तिवारी “इंदवार” फूलों से मुहब्बत कर लेना , खुशबू का इन्हें अभिमान नहीं ! कलियों से मुहब्बत क्या करना , जिनको जौवन …
गज़ल –: सारे शहर में जुल्म है ! ग़ज़लकार –: अनुज “इंदवार” सारे शहर में जुल्म है आक्रोश है ! पर यहाँ क्यों आज तू खामोश है !! जुल्म …
गज़ल –: सारे शहर में जुल्म है ! ग़ज़लकार –: अनुज “इंदवार” सारे शहर में जुल्म है आक्रोश है ! पर यहाँ क्यों आज तू खामोश है !! जुल्म …
ग़ज़ल –: आँगन में आत्मसमर्पण !! गज़लकार–: अनुज तिवारी “इंदवार” आग में झुलसी दुल्हन देखा ! जितनी भी सब निर्धन देखा !! ! अम्बर के अडिग इरादों का ! …
ग़ज़ल — ज़माना ढूँढते हैं !! प्यास लगे तो पैमाना ढूँढते हैं ! भरी महफिल में मयखाना ढूँढते हैं !! जाम आशिकी का पीने वाले ! महबूब की बाहों …
ग़ज़ल –सुहाना प्यार का मंजर !! सुहाना प्यार का मंजर क्यों बर्बाद करती हो ! नज़र आता नहीँ या नज़रंदाज़ करती हो !! मस्त जवानी छाई जो ढल जायेगी …
ग़ज़ल –!! चलो इंसान बन जायें !! आज हम साथ मिलकर के एक पहचान बन जायें ! न तो हिंदू ,न ही मुस्लिम ,चलो इन्सान बन जायें !! नफरत …
एक रोज सुबह उठ कर मै झील किनारे बैठा था , मन्द पवन यू मस्त्त झकझोर रही थी पीपल को ! पंछी डाल पे बैठ झूमते सन्गी संग इठलाते …
एक गुलाब था और एक कमल , बहस छिडी जा राजमहल ! किस्से मेरे लाजबाब , मै पुष्पराज कह रहा गुलाब ! गुलाब — रंग-रंग का अंग मेरा हर …
एक बात जुबानी कहता हूँ मैं , हर मसले का हल होगा ! तेरे ही इन हाथों मॆं , स्वर्णिम भारत का कल होगा ! एक सुंदर सा भू-तल …
घट यूँ घट पनघट गये ,सरपट बहता नीर ! सरिता कहे पहार से , फूटी है तकदीर !! फूटी है तकदीर , पिया क्यों आवत नाहीं ! पिया बिना …
जयश्री
मान बैठे हिम , वो आगी निकला ! मेरे यार का दामन दागी निकला !! ये तबस्सुम दी ये आबरू जिसे ! वो बेआबरू अभागी निकला !! हमने उनका …
कवि – अनुज तिवारी माँ का आँचल छीन रहे, जो पाला इन हुरदंगो को ! अस्मत माँ की मैली करते, कर हिंदू-मुस्लिम दंगो को !! आज पाक संग मस्ती …
हाँ दिल पे तू वशी है, होठों पे हसी है, क्या तू तडफाएगी सदा ! आँखों मे तेरा चहरा , पलकें देती पहरा, कहीँ हो न जाये तू जुदा …