Author: Amar Chandratrai
बहते आंसुओं की जुबां नहीं होती. लफ्जों में मोहोब्बत बयां नहीं होती. मिले जो प्यार तो कद्र करना किसमत यूं हर किसी पर मेहरबान नहीं होती
जब बैठता हु कुछ सोचने के लिये मुझे दुनियावालो का कत्ल -ए-आम याद आता है, मजहब के नाम पर जुदा कर दिया गया हमे् अपनो ने शर्म आता है …
जब ख्वाबो में मुलाकात-ए-यार हुआ करता है, हर तरफ मौसम-ए-बहार हुआ करता है , बिछा देते है उनकी रास्तो में हथेली अपना, जब कभी उनका रास्ता कांटेदार हुआ करता …
# Sad for Bangladesh IS attack… दया भी ना आती है इन मनुस्य रूपी नागो को, पल भर में बुझा जाते है कितने घरों क चिरागों को , जान …
कुछ दिन पहले मैं अपने गांव के सड़क से गुजर रहा था, तभी कुछ आवाजे सुनाई दी शायद कोई लड़ रहा था….. मैंने भी हकीकत का पता लगाने का …
कोई माने या न माने मगर हकिकत है इश्क , जिन्दा रहने के लिये जिन्दगी की जरूरत है इश्क , शायद इसिलिये लोग कहते है , रब के नजर …
जब से देखा हु तुझको मैं हु बड़ी मुस्किल में , एक खुमारी सी छा रही है मुझको, कुछ बेचैनी सी हो रही है दिल में…. ख्वाब भी तेरा …
न तुमको खबर हुई न ज़माना समझ सका… हम चुपके-चुपके तुम पे कई बार मर गए…. आँखों ने बयां करना चाहा जो इजहार-ए-इश्क तुमसे….. पर देख तेरी खामोशी वो …
जब ऱूख से हटा रही थी वो नकाब धीरे धीरे, बादलों से जैसे निकल रहा था आफताब धीरे धीरे, जान ले रही थी ” अमर ” उनकी वो शोख …
चांदनी रात हो और तुम्हारा साथ रहे, रिमझिम बरसात हो जब हमारी मुलाकात रहे, खो जाये हम एक दुसरे की आँखों मे कुछ इस तरह, जो देखे वो बस …
दिल को रह रह के नया अंदेशा डराने लग जाए , वापसी में उसके मुमकिन है ज़माने लग जाए, सो नहीं पाए तो सोने की दुआएं , नींद आने …
रस्म रिवाज अब हुआ सब पूरा आया वक्त विदाई का, छोड़ जाने का समय हो गया बाबुल की अंगनायि का, आंखों में आंसू लिए बेटी कर रही सवाल, कौन …
न जाने कैसे उनसे इज़हार ए हाल कर बैठे, बातों ही बातों में यह कमाल कर बैठे, जिन्हें शौक था नजरों से कत्लेआम करने का, उन्हीं से हम अपनी …
अपनों से बहुत दूर अपना आशियाना बन गया, हाय यह कैसा जिंदगी का फसाना बन गया, जिस गांव की मिट्टी से था हमारा दिल का रिश्ता, उसकी यादों का …
( नमस्ते दोस्तों ।ये मेरी पहली रचना है अाशा करता हू कि आपलोगों को पसन्द आएगी ।) सुहाना था सफर आसमान में बादल छाए थे, भरी बरसात के बीच …