Author: ALOK KUMAR
आज फिर आकाश को बादलों ने घेरा फिर जमीं से हवा ने खुशबु चुराई मिट्टी की सुगंध ने याद दिलाई पहली जुलाई पहली जुलाई यानि सुबह जल्दी-2 जागना नए-नए …
खुबसुरत क्या उनको कह दिया हमको छोङकर शीशे की वो हो गई तराशा नही था तो पत्थर थी तराश दिया तो खुदा की हो गयी………
कभी जिंदगी में तनहा हो, कभी जिंदगी की राहें सुनसान हो जाये , मेरे घर में आना….. और मेरे कमरे के कोने में बंद पड़े उस अलमारी को खोलना …