याद है akgupta 15/02/2013 अशोक कुमार गुप्ता No Comments कुछ नहीं अब गर्दिश-ए-हस्ती में हमको याद है, याद है तो इक फक़त माशूक का दर याद है. ज़िंदगी का आशियाँ कैसे करें तामीर फिर, गुलशन-ए-दिल का हरेक … [Continue Reading...]
इनकार akgupta 15/02/2013 अशोक कुमार गुप्ता No Comments इस कदर मायूस था कि यार ने इकरार किया, और ये समझा दिल-ए-नादाँ कि इनकार किया. मेरे अश्कों ने किया था हाल-ए-दिल बयाँ मेरा, औ सुकूत-ए-हिज्ब-ए-लब ने इश्क … [Continue Reading...]