Author: admin
सूरज उगने के संग ही, आसमां में खो जाती है, प्यारी-सी आवाज सुनाकर, खुश बहुत वो करती है , प्यारी-सी चिड़िया मेरी, मन को बहुत लुभाती है। नन्हें-नन्हें पंखों …
अभी समय के भंडार में ब्लैकहोल होने की बात सुगबुगाहट तक सीमित नहीं है और ना ही बची है कोई ओजोन समय के गर्भ में. आज समय का नाप-तौल …
इस खोखले वृक्ष पर जब देखता हूँ कभी तो सोचता हूँ, इस पर भी कभी पक्षों बैठा होगा हाँ उस सामने वाले वृक्ष को तरह यह भी कभी महका …
नारी का सम्मान करो अपना सम्मान बढाने को नारी को बढाओं आगे देश नही देशो को आगे बढाने को। तैयार खङी है नारी गाँवों से शहर आने को सुख …
कण-कण जोङकर यह पहाङ बनाया है। अकेले नही हो तुम हमने तुम्हारा साथ निभाया है। तुम्हें जीतनी होगी अब हर बाजी चाहे जितनी भी आंधियों का साया है छोङ …
आयो मज़ा रे बड़ा, होली में.… होली में । गोरी के ढंग देखे, होली में ।। आयो मज़ा रे बड़ा, होली में.….होली में। चोली पै रंग देखे, होली में …
(1 ) आधी ‘उम्र’ चीथड़ों को गूंथने में काड़ दी, आधी में ‘वरिष्ठ पार्षदी’ हाथ आई है। छोड़ि देगों लोक-लाज अवना करों लिहाज़, ‘भेड़िया’ के घर आज खुद भेड़ …
(१) अपने ही घर में मिटगईं , सिंदूर लालियाँ ! भारत देखो लुटगईं, भारत की नारियाँ !! बेटा मरा आगे पड़ा, माँ ता न रो सकी ! अंतिम समय …
(1) हे! दया सिन्धु ऐसी, दया कीजियेगा ! मिले बुद्धि,साहस वो, बल दीजियेगा !! नहीं चाहता हूँ मैं, धनवान बनना ! मगर चाहता हूँ मैं, गुणवान बनना !! मै …
आज की ‘नारी’ आज की नारी विराट भई, अब घूँघट में नहीं रूप समाबे I आधे खुले ‘कुच’ आधे पै चोली, अंग उघारि चले न लजाबे II पर ‘नर’ …
(1) छोटा सा कद लागे,गोल-मटोल सो, गोल से गाल,लिये हैं ललामी ! स्वेत हैं केस,रहें विखरे, मुख मूछ-मुड़ी,पहने कुरता पजामी !! (2) चारा जि खाए,पचाए गयो, अव रेल में …
आज के शासन में देखो, ‘मूरख’ राज विराज रहे हैं I हंस तो नीव की ईट बने, स्वान ‘कंगूरों’ पै चड़ीगए हैंII ‘कोयल’ के स्वर कौंन सुने, अव कागा …
माना आज बसा ली है हमने अपनी इक छोटी सी दुनिया, पर चलते-फिरते लौट आता है मन किसी और सदी मैं… जब हमारी पूरी दुनिया हुआ करती थी तेरा …
कुछ दिन पहले, मस्तिष्क की देहलीज से चलते-चलते, जब पहुंचे तहखाने में अपने दिल के, पाया इक पोटली में बंद तेरी यादों को… कुछ यादें थीं जो इक कोने …
(१) हे ! मानव कुछ ऐसा करदो, धरती नाज़ करे ! तुम ईश्वर की अनुपम कृति हो, ईश्वर गरभ करे !! (२) मानवता की ज्योति जलादो ! ऊॅच-नीच का …
नाम ज़िन्दगी का… फिर कह रहा है रास्ता राही से, लिख फिर इक नया दिन, नयी स्याही से, ले दिल में नयी उमंग, नया जूनून, चला चल निरंतर, न …
तुम चाहो तो मंजिल मेरी दूर हटा दो मैं जाऊँ जिस ओर पथिक बन उस पथ पर तुम शू ल बिछा दो और सफर का क्लेश बढाने गर्म सुलगती …
प्रियतम मेरे, तुम्ही प्रेम हो परिभाषित। सुग्र्ह स्वर्ण रूप वाली तुम, मधुर विचार अधीन। तुम पर मनह अधर सब अटके, गीत तुम्ही जीवन संगीत।। सृजित पुष्प सी कुसमित हो …
पके हुए खेतों के आर पार बसंती हवाओं से जूझते अलग अलग तने खड़े सिहरती लताओं से घिरे फागुनी हवाओं के फूल क्या नाम विशेष दूं इन्हें किस के …
दिन को भी इतना अँधेरा होगा मैने कभी सोचा न था! एक तरफ मासूम दिल दिवाना और एक तरफ बेरहम सारा जहाँ होगा, मैने कभी सोचा न था! जो …
दोनों ही उस आकाश के परपार हो जाते हैं पलक शून्य दृष्टि संग उसी एक लय में थिर, यकायक अपनी ही गति के विपरीत सचेतन धारण करने लगते कुंडलिनी …
बहते हैं रंग दिशाएं भी बहती हैं, स्मृतियाँ बूंद -बूंद उन्ही – सी किन्ही अल्पविरामों के नितांत, पार – अपार ।
चलो झूम के दोनों बरसेंगे… दस्तक दी जब सावन ने, मौसम के दरवाजे पर, मन ही मन मुस्काई बहार, इठलाकर और शरमाकर… देख खुद को आईने में, लगी वो …
बादल पानी फ़ूल बहारें, रिमझिम बरसातें, धरती ने बांटी हैं जग में अनुपम सौगातें, मौसम ने जब से रंग बदले, कर ली मनमानी, तार तार हो गयी धरा की …
चरणों मे मॉ के तीर्थो का धाम। ऑंखो मे पुरी विश्व का जाम॥ ना कर मॉ को कभी भी निराश। बैठी सदा लगाए तुझसे कुछ आश॥ जिसने तुम्हे दुख …