Author: Abdullah Qureshi
*मुझे क्यों नहीं समझते हो!!*जब मैं आब कहूँ, दरिया तुम समझते हो,सूल कहूँ जो मैं, शमशीर तुम समझते हो;इल्ज़ाम-तराशी की रिवायत, बनाकर एजेंडा इसे,दूसरों को घटिया, खुद को पाकीज़ा …
“Kaaश”काश मीठी बातों से दुनिया पूरी होती,दो वक्त की भूख असल जिंदगी है।काश हर इंसान में इंसानियत होती,जाति-मज़हब असल जिंदगी है।काश जेबों में सबके अमीरी होती,तपती धूप असल जिंदगी …
राजनीति में आज़कल, चला नया रिवाज़ है,सत्ता की मुख़ालफ़त, देशद्रोह का अपराध है;ना बोलो गर कुछ भी, बेख़बरी का लगता इल्जाम है,निकला जो इक लफ्ज़ भी, ‘रासुका’ लगने को …
आज हसीन शाम वहाँ हो रही होगी;दर पे मौला तेरे, कतारें खूब लग रही होगी,फरमाइशें लाखों यहाँ-वहाँ से पहुंच रही होगी,कि इररफ़ान,तेरी इक़ झलक पाने को, हूरें भी तरस …
*अपनों से पहचान बढ़ाओ*दूरियां सारी अब मिटाओ ,अपनों से पहचान बढ़ाओ ;सिवईयां ईद की, इस बारी उनको ख़िलाओ ,अम्मी के हाथों का, हर पकवान चखाओं ;अपनों से पहचान बढ़ाओ …
*क़ुदरत इस बारी*कुदरत ने इस बारी, कैसा ये रूप दिखाया है;ज़ख्मों को उसके, अनदेखा हमने बनाया है।परत दर परत हम उसे, यूहीं क़ुरदतें रहें;रोती वसुधा ने, दर्द कई बार …
हम एक नाव पर सवार हैं, मन में भरा क्यूँ इतना गुबार है;ना करो गुस्ताखियां ऐसी यहाँ, जाना तो सभी को उस पार है;क्यों बाँट रहे हो तुम इनको, …
*इंतेहा ज़ुल्म की बहुत हुई*लिंचिंग की बेज़ा आदत, हदें सारी पार हुई,इस बारी पालघर में, इंसानियत तार तार हुई;बैरागी थे जो सह गये, उफ़्फ़ तलक भी ना हुई,मिलकर रब …
कल तलक जिस जिसको मैं इग्नोर किया करता था,आज वे ही बढ़ बढ़कर, काम मेरा सराह रहे है।और जिनके एक लफ्ज़ को मैं, तस्बीह में पिरो दिया करता था,आज …
कब तक किस्मत को कोसोगे,मीन-मेख दूसरों में खोजोगें,क़दम बढ़ा जो, मिलना फिर लाज़िम है;कि कोशिश बड़ी चीज है।दूरी और नफ़रत छू मंतर हो जायेगी,ग़ैर-पराये की रस्में भस्म हो जायेगी,मान …
*दर्दों – ग़म सारे मेरे*आज सहने दें, सितम सारे तेरे,आज कहने दे, दर्दों-गम सारे मेरे;दिखता हूँ मैं खुश, इक राज है ये,पलकें भीगी और मन उदास है ये;जानता मैं …
“तकलीफ़ – ए – मिडिल क्लास”वबा-ए-मंज़र में देखो परेशाँ हर एक इंसान है;भूक मिटानी घर-बार की नहीं इतनी आसान है।मुफ़लिसी-ओ-मालदारी छुपती नहीं किसी के छुपाने से;वबाल-ए-वस्त बिरादरी, इससे आज …
“दुनिया हमारी”मतलब-बेमतलब की दुनिया ये सारी,मेहनत मजदूरी से चलती दुनिया हमारी;लेखा जोखा नहीं आने वाले कल का,आज का जुगाड़ लगाती दुनिया हमारी;जानें कित्ती ऊँची इमारतें बनाई हमनें,झुग्गी में साहब …
उस रोज़ बहन की आँखों में आँसू देखकर समझ आ गया;नज़रें झुकाकर चलना, बहुतों पर हमारा बड़ा एहसान है।✍️अब्दुल्लाह क़ुरैशी Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа …
मंदिर हिन्दुओं के और मस्जिदें मुसलमानों की;मज़हब से पहचानी जाती जहाँ नस्लें इंसानों की।जाकर देखा जब मैनें भीड़ भरे बाज़ारों में;दौलत से आँकी जाती वहाँ इज़्ज़त इंसानों की।मिला जब …
“हाँ वो मेरी माँ है”याद मुझे आज भी यह बिल्कुल साफ-साफ है;जुबाँ पर पहला नाम जो मेरे आया है, हाँ वो मेरी माँ है।भूख-प्यास और ज़िद को मेरी पलक …
खालिस मजबूत किसी विश्वास पर टिकी होती है ये उम्मीद,टूटने पर आवाज नहीं लेकिन दर्द देती है ये उम्मीद।उम्मीद गर उनसे है तो कोई बात नहीं,लेकिन ख़ुद से है …
याद है वो दिन जब तुम अपनी भीड़ के साथ हमारी चौखट पर आए थे,वादें जो भी किये उस रोज़, हमें अब भी सारा कुछ याद है।चलो माना बिजली,पानी …