बच्चपन के दोस्त कही जब मिल जाते हैं।दिल मे दबे भाव भी लव पे खिल जाते हैं।गम्भीरता बातो से जाने कहा जाती हैं।बच्पन की बातो मे बच्चपन लौट आती हैं।जोर जोर से बाते और ठहाके लगते हैं।बीच बीच के टोन बड़े मीठे लगते हैं।मास्टर जी के बातो की खिल्ली उड़ती हैं।कुछ पल तो खुशियो की ही आंधी चलती हैं।हर दर्द और फिकर जाने कहा सो जाती हैं।गमो से भरी दुनिया में खुशिया लौट आती हैं।ऐ दोस्त युही आते जाते तुम मिलते रहना।दर्द भरी दुनिया हैं, खुशिया चुनते रहना।
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बहुत खूबसूरत ।
Meri kavita padhne aur bahumuly comments ke liye teh dil se aabhar
सुन्दर भाव.एक दो स्थानों पर लिंग भेद ठीक होना चाहिए
Kavita padhne aur apke bahumuly comments ke liye teh dil se aabhar
Very nice .Arun JI
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बचपन की याद में और मुलाकात में जब भी लोग मिलते हैं… आँसू निकल आते हैं…. बहुत बढ़िया है अरुण जी…
Meri kavita padhne aur bahumulya comments ke liye teh dil se aabhar
bhut sundar…… sahi ..kaha apne………….
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Bahut sundar …Arun ji…sahi likha hai aapne….
Meri kavita padhne aur bahumulay comments ke liye teh dil se aabhar
बिलकुल सही कहा आपने…..दोस्ती…मोहबात है ही ऐसी चीज़…..खुशियां भर देती ज़िन्दगी में…हाँ अंतिम पंक्ति में ‘चुनते रहना’ मुझे थोड़ा अच्छा नहीं लगा….क्यूंकि रचना खुशियां बांटने की बात कर रही….दोस्ती में….शायद मेरा सोचना अलग से है…
Thank you sir for reading and comments