क्या लिखा था उसने ख़त मेंमेरे दोस्त मेरे हमदम तुम बुरा मत मान जाना ये शौक है हमारा पुराने रिश्तो को छोड़, नए बनाना सब से हंसकर बात करना फितरत है हमारी शायद ये तुम्हारी भूल थी की हम चाहत हैं तुम्हारी मेरे हमदम मेरे दोस्त तुम बुरा मत मान जाना ये आदत है हमारी पुराने लिबास बदल कर नए पहन लेना दो -चार मुलाकातों और प्यार भरी बातो कोतुम क्या न जाने क्या समझ बैठे की हम गवां बैठे हैं दिल अपना आपके हाथो मेरे दोस्त मेरे हम दम तुम बुरा मत मान जाना ये रवायत है मेरी लोगो के दिल को तोड़ कर आगे बढ़ जाना !!
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sundar………….
Thanks sir ji.
Sundar Rachna…
Nice
thanks dear
bhut sundar vyang rachana apki…………..
Bahut sundar
भौतिक सुख के लिये आत्मीयता की सीमा लांघने वालो पर सुंदर कटाक्ष । अति सुंदर।
AAP sabhi ka Bhutan Bhutan Dhanyavad.
ये रवायत बड़ी आम है.सुन्दर भावाव्यक्ति….
Madhukar Ji aapka bahut bahut dhanyabad