समय कब पंख लगा उड़ गया,कितना कुछ अब है बदल गया,जिसे अंगुल पकड़, मैंने चलना सिखाया था,आज वह चलते वक़्त, मेरा हाथ थाम लेती है,जिस का हाथ पकड़, कभी मै सड़क पार कराती थी,आज वह अंगुल पकड़, मुझे ही सड़क पार कराती है,कभी मै सुबह उसे नींद से जगाती थी,अब वह मुझे, सुबह उठाने लगी है,जिसकी उलझने मै सुलझाती थी, कभी,आज वह, मेरी उलझने, सुलझा जाती है सभी,कभी जिसे मै समझाया करती थी,आज वह मुझे समझाने भी लगी है,फर्क बस इतना सा है,उसके और मेरे समझाने में,मै जब भी समझाती थी,हमारे बीच, अनदेखा सा,एक समाज आ जाता था,उसके समझाने में, कभी भी,समाज बीच में नहीं आता है,उसे सिर्फ, मेरी फिक्र रहती है,वह और कोई नहीं,मेरी प्यारी बिटीया है,जो अब बड़ी हो गयी है,यह माँ-बेटी का प्यारा सा रिस्ता है,जो समय के साथ गाड़ा हो गया है|बेटियों, से ज़िन्दगी होती है,माँ के दिल के, पास होती है,उन्हीं से, रोशन जहाँ रहता है,उन्ही से, घर खुशिया रहती है…. अनु महेश्वरीचेन्नई
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Bahut hi sundar aur hriday shparshi kavita
Thank You, Arun ji..
very beautiful lines ….so nicely you have depicted the bond between mother and daughter.
Thank You, Anderyas ji…
Lovely sentiments Anu….Well expressed……
Thank You, Shishir ji…
Beautiful. Sentiments ……….
Thank You, Kiran ji…
सही कहा अपने….बच्चे बड़े होते हैं तो दोस्त हो जाते हैं….और माँ उनकी सबसे जल्दी दोस्त बनती है…हाहाहा…..बहुत प्यार भरा रिश्ता है….और उतनी ही प्यारी रचना…..भगवान् हमेशा हमेशा प्यार भरा ये रिश्ता बनाये रखे….
Thank You, Sharma ji…
Infinite beautiful lines
Thank You, Anjali…
माँ बेटी के जैसा आपसी प्रेम और सामंजस्य और किसी रिश्ते में देखने को नही मिलेगा………सुन्दर और सरल शब्दों में यथार्थ को परोसा है आपने ……..बधाई आपको औए ढेरो आशीष बिटिया के लिये ।
Thank You, Nivatiya ji…
बिटिया मनोभाव को भापने में देर नहीं लगती… क्योंकि माँ का आशीर्वाद उसे मिला रहता है…. माँ के वो सारे गुण उस बिटिया में अपने आप समाहित हो जाती है.. यह तो कूदरत की देन है अनु जी…
Thank You, Bindeshwar ji…