नींदवाली स्वप्न——————-रात की नींद में स्वप्न देखती है लड़की हंसती है निश्चिंत होकर खुशी से जाती है और दौड़ती रहती है रंगीन तितलियों के पीछे पंक्षी बनकर उड़ती रहती है अनंत नीले आस्मां में वह सैर करती है बागवान की और फूल चुनकर माला में पिरोती है आपने प्रेमी के लिए जब जागती है तब देखती है वह नरम गद्दी पर नहीं आँगन बुहारने रहती है व्यस्त गौशाला की गोबर साफ करती है और जलावन लाती है जंगल से सहेलियों के साथ सूर्योदय के साथ जाती है वः गाय चराने उसकी निंदवाली स्वप्न पूरी टूट जाती है और वह चारागाह की मैदान में ही डूबकर खो जाती है।
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Dil ko chhuti sundar kavita
आभार आपका
बहुत मार्मिक रचना है…..मजबूरी…लाचारी में सपने….बचपन सब कहीं खो जाता है….और बेटियों का तो और भी बुरा हाल है किसी किसी समाज में….. मैंने भी ऐसा महसूस किया है अपनी ज़िन्दगी में कुछ कहीं… दिल को झकझोर दिया आपने….बेहद भावपूर्ण….कटु सत्य को उजागर करती….और साथ में हमारी अनदेखी मानसिकता को उभारती है….
आभार आपका ,सुन्दर और बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए
Sundar Rachna….
धन्यवाद अनु जी अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए
सत्यता से पूर्ण खूबसूरत मार्मिक चित्रण …
अति सुंदर।
बहुत बहुत जोहार निवतिया जी अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए।