मेरे घर आंगन में गूंजी किलकारी आई इस बगिया में नव कलिका प्यारी
प्रतीक्षा में जिसके बरस भए सुनने को जिसे कान तरस गए खिली कली बगिया महकी देख खुशहाली चिडिया चहकी आज सुनाई दी है वह ध्वनि प्यारी मेरे घर आंगन में गूंजी किलकारी
प्रसन्न है आज परिवार सारा घर में आया खिलौना प्यारा है प्रसन्न दादा-दादी प्रसन्न है माता कर दिया सबको प्रसन्न तुने विधाता सुनी रब ने फरियाद हमारी मेरे घर आंगन में गूंजी किलकारी
आज दूर हटे हैं सब अंधेरे खुशियां आई है आंगन मेरे खुशी से पूरित जिसका पिता है वो हमारी प्यारी ‘निवेदिता’ है अब तो दिखती हे जीवन राह उजियारी मेरे घर आंगन में गूंजी किलकारी
(20 जुलाई 2002 को पुत्री के जन्म पर रचित रचना)
रामगोपाल सांखला ‘गोपी’
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sundar ………..
Thanks sir
Behad sundar bhaavaavyakti. Aapki pyaari beti ko mera dher saraahne aashirvaad…….
धन्यवाद शिशिर जी
Bahut sundar rachna…Ramgopal ji…aapki bitiya ko belated Happy Birthday..God bless her….
Tanks Annu ji
Badhai ho ramgopal ji aap ki bitiya dher sara pyar aur ashirwad
Thanks Arunji
Betiyan ghar ki raunak hoti hain ……anti sundar
बहुत बहुत आभार किरण जी
सच में बेटियों से ही संसार है….हर ख़ुशी है….बहुत ही प्यारी रचना…..भगवान् आपकी बेटी को हर ख़ुशी प्रदान करे….माँ बाप का…समाज का…देश का नाम रौशन करने वाली बने….तथास्तु…..
बहुत बहुत आभार श्रीमान
सर आपने बहुत प्यारी रचना लिखी है। मेरी तरफ से आपकी बेटी को ढेर सारा प्यार और जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप इसी प्रकार अपनी रचनाएं हिन्दी साहित्य की इस वेबसाइट पर अपलोड करते रहें, जिससे इंटरनेट के पाठक इसका रसास्वादन करते रहें।
हार्दिक आभार
Respected Sir, Very nice Poem, Super
धन्यवाद सर