रोमांच
बदन संगमरमर है या तराशा हुआ टुकड़ा कांच साशबनम की बूँद ढले तो लगे है तपता कनक आंच सानजर है की उसके उत्कृष्ट बदन पर ठहरती ही नहींनिहारे जो भी उस अनुठे सौंदर्य को लगे रोमांच सा !!
!!!डी के निवातिया ……!!
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nice lines nivatiya ji……………….
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..MADHU JI.
कम शब्दों में ज्यादा रोमांच !
बहुत अच्छी रचना सर कॉपी पेस्ट के चक्कर में प्रतिक्रिया ज्यादा हो गई। अति उत्तम।
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..RAMGOPAL
sundar rachna
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..CHANDRAMOHAN
Nivatiya ji aap shaayad ye rachnaa pahle post kar chuke hain………
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..SHISHIR JI.
Bahut khoob
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..ARUN KUMAR
Kya baat hai Nivatiya sahab … bahut khhob (निहारे जो भी उस अनुठे सौंदर्य को लगे रोमांच सा)
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..ANDERYAS
Beautiful ……..
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..KIRAN JI.
laajwaab………………
सतत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..BABBU JI.