एक लफ्ज़ करू जो अर्ज़ तुझे,एक लफ्ज़ की है तलाश मुझे।एक लफ्ज़ जो मेरा दुश्मन है,एक लफ्ज़ से है हर आस मुझे।एक लफ्ज़ जो मेरा कातिल है,एक लफ्ज़ से आये सांस मुझे।एक लफ्ज़ जो तेरा-मेरा हो,एक लफ्ज़ करे तेरा ख़ास मुझे।एक लफ्ज़ तू मुझपर बरसा दे,एक लफ्ज़ की अब है प्यास मुझे।वो लफ्ज़ जो तेरे पास में है,उस लफ्ज़ को तू अंजाम दे।एक रिश्ता है हम दोनों का,उस रिश्ते को एक नाम दे।
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यह लफ्ज़ मेरा है, बहुत ही खूबसूरत रचना है।
भावना जी महज़ शब्द नहीं, एहसास भी, भावना भी।
सधन्यवाद।
adbhut Rachnaa sir
Thanks Mohitji
bhut achhi rachana dipesh ji……….
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धन्यवाद मधु जी।
Behad sundar rachnaa ……..
धन्यवाद मधुकर जी
अति सुंदर……..शब्दमाला को बखूबी सजाय है।
आपकी कीमती टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद निवतिया जी।
बहुत सुंदर एक लफ्जों की ब्यान.. जो कर रहा प्यार और एक रिश्ते की तरह..
बहुत धन्यवाद आपका।
bahut sundar……………
जी बोहत बोहत धन्यवाद
Kya bat hain bhai gajab dha gaye