IIछंद-चौपाईIIरम जाओ तुम मुझमें ऐसे,रंग मिला पानी में जैसे…तुम सज जाओ ऐसे दिल में,जैसे देव सजे मंदिर में….ढूंढूं कहीं खुदा मैं क्यूँकर,मंदिर हो चाहे गिरिजा घर…चाहूँ देखूँ दिल में तुम को,जब चाहूँ पूजूँ मैं तुम को…\/सी.एम्.शर्मा (बब्बू)
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सुंदर रचना
तहदिल आभार आपका…….Bhawanaji….
बहुत खूबसूरत बब्बू जी ……..आप तो कलम के जादूगर है ……..खूबसूरत प्रस्तुति ………एक संदेह दूर करे द्वितीय कल में मात्रा गणना में रंग व् मंदिर शब्द में मात्रा भार क्रमश २ और तीन है या तीन और चार ….. !!
बहुत बहुत आभार आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिकिर्या का निवतियाजी……..रंग (३) और मंदिर (४) मात्रा…..
bhut sundar bhav hai sir …………..
तहदिल आभार आपका……Madhuji….
Ati sundar or saty se bharpoor…….
तहदिल आभार आपका……Madhukarji….
Very nice Babbu JI
तहदिल आभार आपका……Kiranji….
सज जाओ जो भी जहां है
ए मानव खोया तुम कहाँ है.
बहूत सुंदर बब्बू जी.
सत्य वचन…..तहदिल आभार आपकी सुन्दर प्रतिकिर्या का….Sharmaji….
Bahut hi sundar…Sharmaji…
तहदिल आभार आपका……Anuji….