Homeठाकुरप्रसाद सिंहनदी किनारे नदी किनारे विनय कुमार ठाकुरप्रसाद सिंह 26/03/2012 No Comments नदी किनारे बैठ रेत पर घने कदम्ब के तले होगे बजा रहे वंशी तुम मेरे प्रिय साँवले एक हाथ से दिया बारूँ एक हाथ से आँखें पोंछूँ सोचूँ मुझसे भी होंगे क्या बिरह ताप के जले Tweet Pin It Related Posts लाल चन्दन है बरगद की झूलती जटाएँ पहली बूंद About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.