वो मूझे देख मुस्कुराती हैंवो मेरी बातों पे हँसे ,जो खुशियाँ मैं नही दे सकता अपनी पगली को ,हे ऊपरवालेकैसे भी कहीं से भीवो खुशियाँ तूं लाके दे उसे । बहाने ना बनातेरे लिए ये आसान हैं ,हो भी क्यों नातूं सबका भगवान हैं ,ऐसी कोई जगह नहीजहाँ तेरी ना चलें …,जो खुशियाँ मैं नही दे सकता अपनी पगली को ,हे ऊपरवालेकैसे भी कहीं से भीवो खुशियाँ तूं लाके दे उसे । ये मत सोच मै तेरे दर पर अपने लिए आया हूँ ,कोई और हैं मेरे आने की वजह जो आज सर झुकाया हूँ ,ऐ मेरे आँचल के दर्दतेरी खुदकुशी में ही मेरी खूशी हैंमेरे लिए मर नही सकता ,अब उसकी जिंदगी मे जो भी दर्द हैंवो मूझे आ डसे …,जो खुशियाँ मैं नही दे सकता अपनी पगली को ,हे ऊपरवालेकैसे भी कहीं से भीवो खुशियाँ तूं लाके दे उसे । अभी -अभी अपनी क़िस्मत की झोली देखीअरेबहुत खुशियाँ दे रखी हैं तूने मुझको ,यही खुशियाँ उसकी उस पगली की झोली में भर देतब जानूँ तुझको ,काटें हो जो उसके राहों मेउन राहो पर मेरे पाँव चलें …,जो खुशियाँ मैं नही दे सकता अपनी पगली को ,हे ऊपरवालेकैसे भी कहीं से भीवो खुशियाँ तूं लाके दे उसे । एक-एक आँसू का हिसाब देगाअगर उसके एक भी आँसू निकले ,जो गलतियाँ उसने की होंउसकी सजा भी मूझे मिले ,कभी वो मेरे दुखों का सहारा बनेकभी वो मुझसे प्यार से लडे …,बसजो खुशियाँ मैं नही दे सकता अपनी पगली को ,हे ऊपरवालेकैसे भी कहीं से भीवो खुशियाँ तूं लाके दे उसे ।
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बहुत खुब
अच्छा लिखा है….पर और व्यवस्थित हो सकता है…मुझे लगता……….
nice thought ……..may can more ameliorate
bhut khoob……………….
Thankuuuuu yaraaa and bht bht bht sundar poem….
bahut pyari poem hai pyare piyuu