ख़्वाहिशेंkiran kapur gulati अज्ञात कवि 16/07/2017 No Commentsनर्म लबों के तलेदब के रह गईंवो ख़्वाहिशेंजिनकी फ़रियाद भीहम कर न सकेदिल की कश्ती कोजज़्बात की लहरों परछोडा तो था लेकिनवो फ़ासला भी तयहम कर न सकेयूं तो मयस्सर हैंहमें दुनिया की नेमतेंजिसे चाहा पाया तो सहीपर हदें उसके दिल कीतय कर न सके
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बहुत उम्दा ………किसी शै: को पा लेना तो मुमकिन है मगर सफलता तब तक नही मानी जा सकती जब तक उस पर हृदय की विजय न हो अर्थात वो योजक पर स्वयं को समर्पित करने को बाध्य न हो जाये।
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बहुत ही सुंदर रचना.
Bahut sundar
behad umda…………..