” भगवान से ज्यादा ख़ुद पर भरोसा करोयकीन मानो यह जिन्दगी बदल जाएगी. “**********” विश्वास जम गई तो और क्याजहाँ पर तुम वहीं पर मंजिल. “**********
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जहाँ पर तुम वही पर मंजिल मुझे थोड़ा सा अधुरा लगता है।जहाँ पर तुम वही पर मंजिल मिल जाएगी अच्छा लगेगा मेरी समझ से।वैसे सही कहा आपने।खुबसूरत रचना।सर
भावना जी… दो अलग अलग कथ्य हैं… कृप्या इसे फिर से देखें…. सुक्रिया…
जी सर मैं इसे पुनः पढी।सही कहा आपने।सर इसी तरह मेरा मार्गदर्शन करते रहे।मेरी रचना में भी कभी कोई त्रुटि रहे तो मुझे बताये।मैं इस क्षेत्र में आगे जाना चाहती हूं।
Thanks….
बढ़िया …
बहुत बहुत धन्यवाद शशी जी
Sorry Bindeshwar ji , thora sa alag view rakhti hu, Bhagwan pe bharosa to rakho par karm bhi karna hai…
अनु जी हमनें कर्म को अलग नहीं किया है…. अगर मनुष्य ख़ुद पर भरोसा नहीं करेगा तो काम कैसे बनेगी…. विश्वास से ही लोग अच्छे अच्छे कामों में सफलता पाते हैं…. Thanks…
Well said……….
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी
भगवान पर विशवास मेहनत हो साथ तब बनती है बात शर्मा जी
मेरे तो यही विचार हैं
विश्वास वहीं बनाया जाता…. जहां पर आपका भरोसा जमता है… ये आस्था की बात है…… वैसे मैं नास्तिक नहीं हूं… समझ समझ की बात है… गहराई में जायें……. दुबारा पढ़ें… धन्यवाद… अरूण जी…
भरोसा तो उपरवाले का ही होना चाहिए ,पर अपनी कोशिश में कोइ कमी नहीं होनी चाहिए
बहुत बहुत धन्यवाद किरण जी
सत कर्म करना मनुष्य का कर्तव्य है और उस अदृश्य शक्ति जिसे हम अपने अपने ईश्वर के नाम से जानते है जो इस सृष्टि का धोतक है। उस पितापरमेश्वर पर विश्वाश करने से कार्यबल को ऊर्जा मिलती है। अतः: कर्म विश्वाश के साथ किया जाये तो परिणाम अवश्य सकारात्मक होंगे ।
प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया
हम भी ईश्वर के ही अंश हैं, अगर खुद पर भरोसा करेंगे तो भी ईश्वर पर ही भरोसा होगा. ईश्वर ने कतई नहीं कहा की खुद में न देखो बल्कि ईश्वर की वाणी ही यही रही है की अपनी अंतरात्मा में देखो. थोड़ा कन्फूसिओं को दूर करें.
भला हो लोगों का कम से कम आप तो समझे सुक्रिया
हाहाहा…..अपने बहुत बड़ा confusion create कर दिया.. विश्वास में भी…….बहुत खूबसूरत….
बहुत बहुत दिल से आभार बब्बू जी