- मच्छर दादा, मच्छर दादा
- कूड़े कचरे मे रह कर तुम
- इतनी हिम्मत कहाँँ से लाते हो।
- निज रोज रात को आते हो
- मीठे मीठे तान सुनाकर,
- हमें नींद से जगाते हो।
- फिर तुम हमें काट कर
- मेरा खून पी जाते हो।
- क्या तुमको सरकार ने
- नाईट सिफ्ट पर रखा है।
- तुम जिस सरकार के कर्मचारी हो
- उससे तुम इतना कहना
- मुझे अब गरीबो का खून नही पीना।
- क्योंकि उसमें वह स्वाद नहीं
- और अमीरों के घर न जाना मुझको
- क्योंकि वहाँ मेरी मौत खड़ी।
- इसलिये मुझको मैंगो ,लेमन जूस चाहिए अभी
- नहीं तो मैं भी हड़ताल पर जाऊँगा।
- अगर मेरी बात नहीं मानी गई तो
- अपने संग संग डेंगू, मरेलिया को भी ले जाऊंगा।
भावना कुमारी
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bhut sundar hasya vyang rachana bhavna ji…………..
धन्यवाद ।
अति सुन्दर …क्या कहने ……आपने सुन्दर हास्य व्यंग के माधयम से जीवो के प्रति सचेतन भाव प्रकट करते हुए मानव जाती को सजग भी किया है !
बहुत बहुत शक्रिया निवातिया सर।
बहुत सुन्दर
धन्यवाद
बहोत अच्छे ..
शुक्रिया
Bahut khub……………
शुक्रिया।
वाह….क्या बात है….हास्य व्यंग की पुट का….बेहद खूबसूरत………
शुक्रिया सर।