रुख हवा की बदलते देखीअंधियों में उसे मचलते देखी.उजड़ रहे थे जो मेरा आशियाँफितरत को उसे मसलते देखी.थी वह रात काली था सन्नाटाचमन आँखों से उजड़ते देखी.ना कोई अपना ना पराया मिलावक़्त को दबे पाँव निकलते देखी.
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
सुन्दर रचना
Thanks kisku jee..
Bahut sundar
अरूण जी बहुत बहुत धन्यवाद..
सही कहा अपने …………..अति सुंदर ।
सुक्रिया निवतिया जी…
अति सुन्दर भावों की प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद सर्वेश जी…
Bahut sundar…
दिल से हार्दिक शुभकामनाएं…
अति सुंदर रचना
धन्यवाद भावना जी…
khoobsurat bat khoobsurat andaz me………..
तहे दिल हार्दिक अभिनंदन…
Bahut khoob…..tankan ki galtion se adchan lagi bas
Thanks for your comments…