सावन की बहार प्रियतमे तुम्हारा इंतज़ार उमड़ते बादल बरसते मेघ भींगते पपीहे नाचते मोर थिरकते पाँव बजती पायल पायल की झंकार सावन की बहार सजनी तेरा मेरा प्यार आँखों का आँखों से करार बूंदो वाली टप -टप पानी तेरी मेरी कहानी भींगे तेरा बदन भींगे मेरा मन न कोई भरम न कोई कसम अब काहे की शरम अब होने भी दे छुअन हो जाने दे मगन हो जाने दे मिलन सावन की बहार बारिश की फुहार प्रियतमे ना करा इंतज़ार
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सुंदर भावों से युक्त रचना.
मेरी रचनाएँ “भिखारी” और “पूनम का चाँद” भी नजर करें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
thanks vijay sir
Beautiful thought ……………..!
dhanywad dk sir
सुन्दर रचना ………………….
dhanywad chandramohan jee
सुंदर भाव विभोर करती रचना…
aapke utsahwardan ke liye aapka hriday se dhanyawad
Bahut khoob
dhanyawad arun jee
अति सुन्दर सावन के भावों की प्रस्तुति
aapko koti-koti naman
Ati sundar prem rachnaa ……….
aapka hriday se dhanyawad