मेरी स्वप्न पर IPC 144 ———————-मेरी फूटी छज्जा पुआल की झोपडी में खजूर पाटिया फटा गद्धा पर लेट कर तकते रहता था आसमान की ओर और सोरेन इपिल ,भुरका इपिल बूढ़ी परकोम को देख -देखकर डूब जाता था स्वप्नों की नगर में वन की फल ,फूल और मूल खाकर भूल जाता था पेट आग और स्वप्नों में मीठी -मीठी पकवान बनाता था मेरे सामने घूमते रहता था वह पकवानें पर जब से छीन लिया है हमसे आधा कट्ठा जमीन जंहा मैं पुआल और घास -फूस से झोपड़ी बनाया था छीन लिया हमसे पुरखों से मिली वन -जंगल और नदी जंहा से मुझे खाना मिलता था सुन रहा हूँ वहाँ सरकार नगर बसायेंगे हिल स्टेशन गरीबों को खदेड़कर अमीरों के लिए रहने की जगह बदल रही है वक्त बदल रहा है समाज की नियम अब मेरी स्वप्न पर भी सरकार ने लगाया है IPC 144 मेरी हक़ और अधिकार की पथ पर बनाई है ऊँची दिवार और मेरी निर्धनता उसके लिए बना है छाती फुलाकर जोर-जोर की हँसी। —————————————————————————————————-*सोरेन इपिल ,भुरका इपिल ,बूढी परकोम =संताल ज्योतिष के अनुसार तारों के समूह का नाम
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एक दर्द से भरी हुई दास्तान आपने उजागर की है… बहुत बढ़िया.
धन्यवाद शर्मा जी।
Bahut sundae sir
धन्यवाद आपका बहुमूल्य कमैंट्स देने के लिए।
bahut badhiya sir………………
धन्यवाद आपका बहुमूल्य कमैंट्स देने के लिए। आगे भी इस तरह की बहुमूल्य कमैंट्स देने की आशा करता हूँ
Bahut sundar…
धन्यवाद आपका अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दने के लिए
Lovely creation……………………!
धन्यवाद आपका अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दने के लिए
बहुत सुंदर रचना.
मेरी रचना “पूनम का चाँद” भी नजर करें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
धन्यवाद आपका अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दने के लिए