जोडकर कविताओं के टुकडेबनाए हमने गीतों के मुखडेन गीतकार बन सके न कवि रहेकिसे सुनाएं हम अपने दुखडेहर सम्पाादक ने दिल तोडाकर दिए दिल के टुकडे-टुकडेकुछ भी ना हाथ आया हमारेबस अपनों से हम बिछुडेक्या औकात है हम जैसों कीजगत में कई गीतकार हैं भरे पडेआशावादी हैं हम करेंगे आशाभले ही इस दुनियां से जाना पडेहमें भी लिखना है कुछ ऐसाकि हो जाएं सम्पादक के रोंगटे खडे
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bhut sundar rachana…………..
बड़ा सटीक व्यंग…..
बिखरकर भी हम तुझे नहीं छोड़ेगे ऐ मेरी कविता…. हार कर भी तेरा दिल न तोड़ेंगे ऐ मेरी कविता…… बहुत बढ़िया व्यंग… एक नजर मेरी रचना… निश्चल जीवन को भी संग्यान में लें…..
Very nice….
सुंदर कटाक्ष.
मेरी रचनाएँ “भिखारी” और “पूनम का चाँद” भी नजर करें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
Lovely sarcasm …………..too beautiful…………………..!!
Bahut achha likha hsin aap ne
Hamari bhi yahi ichha hai kuch sarthak likh jau………jisase jane ke bad hi sahi yaad kare log…..sunder
sundar kataaksh……………..