नारी की पुकार __________नारी का रूप लेकर क्या मैं पाप किया हूँ ?इसमें मेरा क्या है जुर्म ?भगवान ने ही तो मुझे बनाया है नर -नारी दोनों मनुष्य पर मेरी ही चुन कर शोषण और अत्याचार क्यों ?क्या मैं गंदगी हूँ ?मनुष्य के नाम पर खरपतवार हूँ ?मैं भी माँ हूँ जिसने तुम्हे जन्म दिया है पर,क्यों मुझे भारी बोझा समझा गया ?डायन और दुश्चरित्र कहकर मांझी अखड़ा में पंचायत कर लोगों के सामने अपमान कर घर से निकाल बहार किया। इतिहास साक्षी है नारी भी कर सकती है देश और समाज की नाम रौशन नारी जन्म लेकर क्या मैं पाप किया हूँ ?
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Bahut sundar
प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद
kavita ka bhav bhut hi gajab hai…………… chandramohan ji………..नारी रूप लेकर क्या मैने पाप किया है…..ये होता तो ज्यादा ठीक होता …….
सुधारमूलक प्रतिक्रया देने के लिए आभार आपका। आपसे आगे भी इस की प्रतिक्रया पाने पाने की आशा रखता हूँ। धन्यवाद।
Bahut sundar bhav…Madhu ji ki baat pe dhyan de….
आभार आपका
ख़ूबसूरत रचना
कविता पर टिपण्णी देने के लिए धन्यवाद
आपके दर्द की वजह सही है……पढ़ लिख कर भी हम पिछड़े ही हैं अभी….और फिर ज्यादातर नारी ही नारी की दुश्मन है……
कविता पर बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए अनेक धन्यवाद
बहुत अच्छे भावों से आपकी लिखी रचना सराहनीय है… बहुत बढ़िया.. हमारी एक रचना आप से अछूती है… अपनी राय दें….
कविता पर बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए अनेक धन्यवाद
शायद समय की कमी की वजह से आपकी रचना मै नहीं देख पाया हूँ ,क्षमा कीजियेगा जरूर अपनी राय दूंगा।
सुंदर भावों से सुसज्जित रचना.
धन्यवाद आपका कविता पर आपनि बहुमुल्य विचार देने लिए।
नारी व्यथा पर सुंदर सोच…..
मेरी कविता पर अपनी बहुमूल्य रे देने हेतु आपको बहुत धन्यवाद
बहुत सुब्दर विचार आपके …………इसे विडंबना ही कहा जाए की रूढ़िवाद आज भी शिक्षा पर भारी है ……………!!
मेरी कविता पर अपनी बहुमूल्य रे देने हेतु आपको बहुत धन्यवाद। आगे भी इस तरह की कविता पर टिपण्णी पाने की आशा रखूंगा