कसम तो खाई थी हमने, मगर निभा न सकेजिसे बसाया था दिल मे, उसे हम पा न सकेलड़ा दुनिया से पर, हुआ बदनाम मगरहम अपनी जान को,अपना ही पर बना न सकेकसम………….भूलू वो कैसे उसके ,वो प्यार वाले पलवो मेरे लिए तड़पना ,वो प्यार उसका बेहदउसने बसा ली दुनिया,वो किसी और की हैं अबपर अपने दिल मे तस्वीर ,और हम लगा न सकेकसम……………वो सूनेपन का फयदा, वो प्रेम रस का हौरवो बार बार चुम्मन , वो बाहो का कस के जोरक्या वो ह्रिदय तरंगो को रोक पाऐगीवो कैसे खुद को साजन को सौंप पाऐगीवो सौपे चाहे खुद को,हम दिल को समझा न सकेकसम………….मैं सोचता हूं मुझको ,वो कैसे भूल पाऐगीकभी झूली मेरी लय में, क्या उसके संग झूल पाऐगीवो गर्म गर्म शांसे,वो आनंदमय इजहारवो बदन का चूम्मन,सिमटना ह्रिदय के पासवो भूले चाहे सबकुछ , हम भुला न सकेकसम………..मिटा दी सभी निशानी ,जला दी खते भी सारीबेरंग सी लगती हैं मुझको जहॉ ये सारीसावन क्यो आज बरसा ,हैं दर्द मेरा बढताखामोश हो गई है अल्हर भरी जवानीतस्वीर उसकी दिल से हम हटा न सकेकसम……………..
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अपनी मनोव्यथा को शब्दों में बाँधने का अच्छा प्रयास अरुण ….. …..कुछ अनावश्यक व अनुचित शब्दो के प्रयोग से बचा जा सकता था। जैसे प्रेम की कोई हद नही होती वो बेहद होना चाहिए। अंत में भी रचना को उचित शब्द संयोजन का अभाव लगा।…..बेहतर प्रयास से रचना की सुंदरता को साधा जा सकता था।
धन्यवाद सर ,अाप के कहे अनुसार मैने कुछ बदलाव किए हैं
अब गौर कीजिएगा , मेरी गल्तियो को बताने और सुधार करवाने के लिए एक बार फिर तेह दिल से आभार
prem virah bhaavnaaon kaa dard bhare chitran kaa achcha prayaas. Vakt ke saath is dard ko disha dene kaa prayaas karo…..
मेरी कविता को पढने और मान देने के लिए तेह दिल से आभार
Dard ko disha dene se tstpary may samajh nahi paya pls vistar mein samjhay
सुंदर रचना.
कविता को पढने और मान देने के लिए तेह दिल से आभार
अरुणजी….निवतियाजी ने बहुत सही कहा है…. आपके भाव बहुत अच्छे हैं पर वो कहीं न कहीं कनेक्ट नहीं कर पा रहे….कुछ ज़रुरत से ज्यादा शब्दों की वजह से…मैंने आपके पहले पद के भावों को अपने ढंग से लिखने की कोशिश की है…..
कसम तो खाई थी हमने, मगर निभा न सके
जिसे बसाया था दिल मे, उसे हम पा न सके
लड़े दुनिया से और बदनाम भी हुए बहुत
जान अपनी को फिर भी अपना बना न सके
आप के सुझाव और प्रोतसाहन के लिए तेह दिल से आभार
सुन्दर भाव
बहुत बहुत आभार सर्वेश जी
Meri aur bhi kavitao par nazar dale ummeed karta huin aap ko achha lagega
sundar kavita ………..
बहुत बहुत आभार चन्द्रमोहन जी
Sir meri aur bhi kavitao kar nazar dale ummeed karta huin aap ko achhe lagenge
bhut khoobsurat rachana apki
…………………
Bahut bahut dhanywad madhu ji
Very nice…
Bahut bahut dhanywad anu ji
अच्छी प्रेम की एक दास्तां आपने पेश करी है… बहुत बढ़िया अरूण जी…
Teh dil se aabhar sharma ji
Bahut Sundar