पंछि-पंछि जरा बतातुझे जाना है कहाँकिया तुम्हें पता भी हैतेरा ठिकाना है कहाँ।बस चार दाने चुगनेलाल-लाल तारक अनार के दाने मिलेखुला आकाश उड़ जाने को मिलेकही बैठ गीत गाने को एक डाली मिले ।उस तल तक तेरा निशाना हैकिया वही तेरा ठिकाना हैपंछि-पंछि जरा बतातुझे जाना है कहाँतेरा ठिकाना है कहाँ।छोटी सी आखियो मेंतेरे भी सपने हैबहुत बड़ी जहान हैबस अपनो का ठिकाना है।
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वर्तनी में कही कही गलती है ,कविता भाव बहुत सुन्दर है।
bhut khoobsurat bhav……………….पंछी ,क्यों, अखियाँ इत्यादि गलत छप गये हैं जो कविता की खूबसूरती मे बाधा डाल रहे हैं।………….पर कविता गजब है ।
अति सुंदर …….गुणीजनों के सुझावों का अनुसरण करे।
Sunder bhaav.