तेरी यादे,,,लिपटा रहूँ तेरी आँचल सेलिपटा रहूँ तेरी बातों मेंतेरी यादों में खोया रहाना होश रहा ना खुद की।तेरी ज़ुस्तज़ु, तेरी आरजूतेरी सितम मैं सहता रहातस्वीरें तुम्हारी दिल में थीइसलिए तेरी यादों मेंआँसू भी आता रहा।हर एक में, तेरा चेहरानाजनिय सा लगेतेरी यादों चलता रहासूरज की रोशनी भी चाँदनी सा लगे।तू हर्ष चाँदनी भी,उदासी सा लगेटिमटिमाते तारे भी,सहारे की बूंद सा लगे।तुम्हारी आँखों मे भी मेरी तस्वीर बन जाएतुम्हारी यादों ने ही मेरी तक़दीर बन जाएआईना बन जाऊ मैं तुम्हाराबस दिल में तुम्हारी तस्वीर बन जाए।लिपटा रहूँ तेरी आँचल सेलिपटा रहूँ तेरी बातों मेंतेरी यादों में खोया रहाना होश रहा ना खुद की।रचनाकार;-मु.जुबेर हुसैन
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जुबैर जी… थोडी और मशक्कत करने से आपकी रचना सुंदर हो जाएगी.. जैसे…. पहली.. दूसरी.. तीसरी और चौथी पंक्ति…. लिपटी रहने दो आँचल में… उलझे रहने दो बातों में… खो जायें हम यादों में.. मदहोश हो जाएं बहों में…. भाव अच्छे हैं
भाव बहुत खूब है…………………..
Thanks..
khoobsoorat bhaav………………………….
Bahut khub.
Thanks…