विजय कुमार सिंहvijaykumarsinghblog.wordpress.com
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Bhaai Vijay Behtreen Rachnaa. Aapki srijansheeltaa ko salaam
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
siksha yukt, umda rachana
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
Vijay Kumar ji aap se gujarish hai ki
meri rachna ‘ wah hai ki nahin aatee : Bhag-4
jab Publish ho jay, to aap isee shaili mein
poore ghatna kram ko nakal kar deejiyega:
anugraheet rahoonga.
raquimali जी किसी भी घटना या कथा को अगर कोई अपनी शैली में लिखता है तो वह घटना या कथा का सिर्फ सार लेकर नए सिरे से अपने शब्दों, अपनी भावनाओं और अपनी शैली का प्रयोग करके लिखता है उसे नक़ल करके वैसा ही नहीं लिखा जा सकता. जिस शैली में मैंने लिखा है उसमें शब्दों का चयन, मात्राओं की गणना सभी को ध्यान देकर लिखा गया है और इसमें काफी परिश्रम और समय लगता है. मेरा मानना है की अगर आप मेरी शैली को ध्यान में रखकर स्वयं प्रयास करें तो आपके लिए लाभदायक होगा. धन्यवाद.
बहुत खूबसूरत चालीसा लिखा आपने ………..मानवता सर्वोपरि है ……जो आज भी निर्धन के घट में वास करती है ……….इस रचना के माधयम से यह खूबसूरती से स्पष्ट किया है आपने …………सुंदर , सरल और मनभावन शब्दों के माधयम से कहानी को दोहे चोपाई में बांधकर उम्दा रचनामकता का परिचय दिया है आपने विजय !!
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
Bahut hi sundar rachna….Vijay ji…
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत उम्दा ……….,ममत्व का आकलन बड़ा दुष्कर कार्य है .यह अमीरी -गरीबी के भेद से परे है ..एक पूरे घटना क्रम और उसमें समाई सीख का बड़ी कुशलता से वर्णन किया है आपने .
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
ममत्व को जगाती एक बड़ा प्रयास… जो अनायास ही बिन भेदभाव के जागृत हो जाती है… एक अच्छा रूप से सुसज्जित करने के लिए धन्यवाद…. बहुत बढ़िया दोहे… उसके चौपाई….
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
bhut khoob……………………….. aap hi itnai sundar itni lambi rachana kr skte hai vijay ji…….
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
Bahut bahut bahut sundar
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
sundar ……………….
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
laajwaab………hats off………
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
ममत्व और अमीरी गरीबी के सूंदर भावों से सुसज्जित अत्यंत ही प्रेरणादायक रचना. लाजवाब विजय जी.
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
लाजवाब. बहुत ही सुंदर रचना सर. ज्ञान से परिपूर्ण.
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
अत्यंत ही सुंदर रचना, भावनाओं को करीब से छूती हुई, शिक्षाप्रद. बधाई आपको.
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
विजय जी बहुत ही ख़ूबसूरत रचना
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
वाह बेहद खूबसूरत रचना है विजय कुमारजी
पढ़कर आनंद आ गया
शब्दों में बया करना मुश्किल है ,
भिखारन का बड़प्पन और अमीर का छोटा मन
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
बहुत ही बढिया दोहा।सर पढ कर अच्छा लगा।
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
अति सुन्दर भाव
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
sir gajab ki rachna hai aapki
iss tarah ki rachna ke liye aapko koti-koti naman
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ कितनी भी प्रसंशा की जाय कम है
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.