खुली आँखों में कई टूटे सपने गुजर गए,हुई आँख बंद सपने बूँद-बूँद बह गए।चलते कदम डगमगाते है अब,आँखों से मेरी आँखे घबराते है अब,सपने अब भी देखता हूँ पर नींद थम गए।इस बार कुछ अच्छा सबक पाया,अपनों को रोता और रोतो को हँसता पाया।फिर से वही पे पाया खुद को,जँहा मैंने छोड़ा था अपनों को,हँसता हुँ अब भी पर दिल को रोता पाया।
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ख़ूबसूरत
धन्यवाद।
khoobsoorat bhav…….आँखों से मेरी आँखे घबराते है अब…..samajh nahin aaya kya kahna chaahte aap…..
धन्यवाद।
व्यक्ति विशेष के जब सपने टूटते है तो वह शर्मिंदगी के कारण लोगो से आँखे मिलाकर बात करने से घबराता है ,चाहे वह परिवार का कोई सदस्य हो या अन्य।
धन्यवाद,अपना कीमती समय देने के लिए।
Lay to theek hain par babbu sir jo puchh rahe hain wahi mera bhi sawal hain
धन्यवाद।
व्यक्ति विशेष के जब सपने टूटते है तो वह शर्मिंदगी के कारण लोगो से आँखे मिलाकर बात करने से घबराता है ,चाहे वह परिवार का कोई सदस्य हो या अन्य।
धन्यवाद,अपना कीमती समय देने के लिए।
bhut bdhiya ……………………………
व्यक्ति विशेष के जब सपने टूटते है तो वह शर्मिंदगी के कारण लोगो से आँखे मिलाकर बात करने से घबराता है ,चाहे वह परिवार का कोई सदस्य हो या अन्य।
धन्यवाद,अपना कीमती समय देने के लिए।
अति सुंदर अभिव्यक्ति …………शब्द संबोधन में थोड़ा ध्यान रखे जैसे आँखे घबराते नही अपितु घबराये या घबरायी होता है। वैसे ही नींद थम गये की जगह थम गई होना चाहिए। …….सर्वविदित है कि लय बद्ध करने की लिए आपने इन शब्दों का प्रयोग किया है। लेकिन रचना की सुंदरता के लिये लिंग भेद आदि का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है।
धन्यवाद। आपके सलाह को ध्यान रखूँगा।
nice
धन्यवाद।