‘कवि पति – समझदार पत्नि’ संवाद( नींद में, कवि) पति :’ख़ूबसूरत सा मेरा ख़्याल है, यही चल रहा है मेरे मन मेंखूबसूरत तेरा भी ख्याल होगा, यही होगी बात तेरे मन में;बेहद खूबसूरत सी तेरी एक सूरत बसी है, मेरे दिल मेंखूबसूरत सी मेरी भी कोई तस्वीर बसी होगी तेरे दिल में।’*******************************************(जगी हुई, समझदार) पत्नि:’उन खूबसूरत ख़्याल, सूरत, तस्वीर की बातें छोड़ोपूरा ध्यान लगाओ, आटा, चावल, दाल, तरोई में;ख़्याली, बातों से पेट नहीं भरता है, पप्पू के ‘पप्पा’-टमाटर*, पहले लाओ, देख लो, और क्या-क्या नहीं हैरसोई में?'(* आजकल टमाटर, यहाँ पर 100 Rs/Kg के रेट से मिल रहा है। )…र.अ. bsnl
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Wang se bhari hui sundar rachna
तरोई नहीं शायद तोरई होता है…..
अरुण जी
और शिशिर जी,
उत्साह वर्द्धन के लिये बहुत- बहुत शुक्रिया।
शिशिर जी, अद्यतन शब्दकोष में
‘तरोई’ और ‘तुरई’ दोनों दिया गया है।
Thanks for your kind guidance pl.
ख़ूबसूरत
khoobsoorat……..
bhut gajab …………………………..
हास्य व्यंग्य परोसने का अच्छा प्रयास ……………!
Sarvesh ji, Babbu ji
Madhu ji & Niwatiya ji
Aap sab ka hardik aabhar.
Pl read my poem ‘Samarpan’ also.
बहुत खूब…….. क्या बात है…….
Thanks Kajal ji.