खाली सा मकाँ है…ईंट पत्थरों का….कभी बोलते थे खिड़की दरवाज़े….घंटियाँ बजती थी बच्चों की आवाज़ में…कभी-कभी कोई कर्कश आवाज़…झकझोर जाती थी दीवारों को….मीठे नमकीन पल थे ये सभी….तीखी मिर्ची सा स्वाद भी था जिनमें कभी…ज़िन्दगी चल रही थी यूं ही….पर आज…..सब वीरान सा….हर तरफ खामोशी सी पसरी है…दिल की धड़कन भी सहमी सी चलती है…टूट न जाए खामोशी कहीं…रिश्ता कहाँ टूटता है….जिनमें ज़िन्दगी के दस साल गुज़ारे थे हमने…मन बार बार आज देखता है….उन्हीं ईंट पत्थरों को….आँखों से छू के हर कोने को…हर दीवार को…यहाँ कभी तस्वीर हुआ करती थी…बच्चों की…तो वहां मेरी…रिश्ते भी…आँगन के पौधों की तरह हैं….देखभाल ज़रूरी है….प्यार से सींचने के लिए…विश्वास ज़रूरी है…धूप से बचाने के लिए…छाँव…एक सुखद अहसास….सब पन्ने ज़िन्दगी के अब…सिमट गए दिल के कोने में…अमिट हो कर…ईंट पत्थरों का रिश्ता….बच्चों…पौधों का रिश्ता…और रिश्ता अपना टूटने का…पत्थर पे एक लकीर की तरह….अमिट…..\/सी.एम् शर्मा (बब्बू)
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सौ फीस दी सत्य कहा आपने …यक़ीनन रिश्ते अमिट होते है ………..खूबसूरत सम्बोधन के साथ रिश्तो को संजोने का जो वर्णन किया है गहन विचारशीलता और जीवन के अनुभव की पहचान कराती है ……..बधाई आपको ! एक रिश्ता हमारा भी है आप से ..और इस साहित्य परिवार के सभी सदस्यों से , हम अपनी भूमिका का निर्वहन कितना कर पाते है ………हा हा हा हा !!
तहदिल आभार आपका….हमारा रिश्ता तो है ही साहित्यक परिवार का….और इस परिवार से मैंने बहुत कुछ पाया है….सीखने को मिला है….मुझे लिखना नहीं आता फिर भी सराहना…प्रोत्साहन…ऊर्जा…. नियमित व्ययाम की तरह लेखनी में सुधार हेतु मिलती रही है….आप सब तो कर पा रहे हैं इसका निर्वहन…. मैं उचित निर्वहन कर पा रहा नहीं कर पा रहा….कुछ ज्ञान नहीं…हां आप फूंक मारते रहेंगे तो कर पाऊंगा निर्वहन….हाहाहा
Dil ko chhu gayee aap ki kavita ek ek sabd mein dard aur bhavnao ki gehrai . Lajwab
तहदिल आभार आपका….आपके दिल को छूया रचना ने….arunji…..
बेहद भावुक और वास्तविक…
तहदिल आभार आपका….madhukarji….
Bahut hi sundar ….”रिश्ते भी…
आँगन के पौधों की तरह हैं….
देखभाल ज़रूरी है….
प्यार से सींचने के लिए…
विश्वास ज़रूरी है…” very nice ….Sharmaji….
तहदिल आभार आपका…..Anuji….
बेहद खूबसूरत …………, ऐसा खालीपन कचोटता है मन को .मेरे कस्बे में सूनी हवेलियों को देखकर अक्सर एक अजीब सा भाव उमड़ता था मन में.आपकी रचना ने शब्द दे दिए उन भावों को .
आपका बड़प्पन है यह मीनाजी….सच में….कोटिश आभार आपके प्रेरणास्रोत….ऊर्जा प्रदान करते दिल से निकले शब्दों का……
लाज़वाब, वास्तविक हक़ीक़त को उतारा गया
तहदिल आभार आपका…..Sarveshji….
bhut marmik bhav ……………khoob…………….
तहदिल आभार आपका…..Madhuji….
बहुत ही बेहतरीन……….. मन को छूती हुई रचना……
तहदिल आभार आपका…kaajalji….
BAHUT SUNDER DHANG SE SAJAI HUI RACHNA BAHUT BADIYA…… BABBU JEE…….
तहदिल आभार आपका….sharmaji….