सावन आया
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सावन आयाबरसते बादलपपीहा बोले !!
वज्र कड़केघनघोर है घटानाचे मयूर !!
प्रथम वर्षाजलाशय प्रतापनहाते बाल !!
बूंदे गिरतीपुलकित रमनाचहके खग !!
बहे फुहारलहलाती फसलेझूमे कृषक !!
!!!डी के निवातिया
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Bahut hi sundar…Nivatiya ji…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………ANU JI.
वर्षा ऋतु का सजीव चित्रण निवतिया जी…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………SHISHIR JI.
वर्षा का सजीव चित्रन , बहुत सुन्दर सर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………ARUN KUMAR
bhut sundar rachana barsat pr..
……………..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………MADHU JI.
अब तो आँखों के सामने आ गया जी सावन….दिल में उतर गया….हाहाहा….बहुत प्यार प्यारी फुहार है इस सावन की….जो लेखनी में शब्दों की बूंदों से बरसी है…..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………BABBU JI.
बहुत ही सुंदर……… लाजवाब……. निवातिया जी…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………KAJAL.
kal paani yahaan barsa
aaj aapki kavita padhane mein achha lag taha hai.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………raquimali
raha
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………raquimali
ख़ूबसूरत
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………SAEVESH KUMAR
Varsha ritu ka manoram chitran …….,Atynt sundar haiku……..,
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………………MEENA JI.