मौसम~~~~हर मौसम का आनंदलेता सुविधा सम्पन्न ,साधनहीन गरीब कानिकल जाता है दमग्रीष्मकाल के लुलपट नेप्राण पखेरू उड़ा लिया,भारी वर्षा में इनके शिशुनाले में बहते देखा गया।जब आई शीत ऋतू तोनिमोनिया ने निगल लिया।धनी व्यक्ति के घर मेंऐसी मशीन जो लगी है,उनका मन जब चाहेछत में वर्षा कर ली है ।घर के भीतर वह आबोहवाचंद बटन दबा,साध ली है।संसार के कुछ बड़े धनवानलंबे जीवन के करते जतन।बस उन्हें दुःख सताता है,अमर होना अब बाकी है।मौसम प्रूफ मकान केहै हर दरवाजे जो बंद ,मौत भी बड़ी चालाक हैखिड़की से चली आती है।–मु.जुबेर हुसैन
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is rachnaa me kuntha jhalakti hai. gareeb ki chintaa honi chaahiye par ameer se jalan nahin. beimaani ko haa zaroor galat kahnaa chaahiye.
bahut khoobsoorat bhaav hain………madhukarji ki baat…sujhaav sahi hai…..
बात कड़वी है मगर सच्ची है ………………..मगर अपने पक्ष को सही ढंग से रखने में चूक हुई है जिस कारण रचना अप्रभावी लगती है !!