माना मेरी ज़िन्दगी है तेरे करार में….लेकिन खुदा नहीं तू दुनियावी दयार में….कैसी हवा चली है के लुट गया चमन चमन….कफ़न तक भी खिंच गए मायावी बाज़ार में….उठी अंगुली कभी कलम हरेक ख्याल पे मगर…सरे आईना अक्स मेरा नहीं अपने आकार में….थी कत्ले साफगोई या खुद साजिशे शिकार…खंजर मिला न खूँ दिल ही के दयार में….‘चन्दर’ को दूं आवाज़ तो ‘बब्बू’ जवाब दे…..दोनों के दोनों लुट गए इश्क़ की बहार में….\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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बहुत खूबसूरत उम्दा
तहदिल आभार आपका……….Sharmaji….
Bahut hi sundar ….Sharmaji…
तहदिल आभार आपका…..Anuji…
behtreen sir ……………….gajab…………
तहदिल आभार आपका…..Madhuji….
behad sundar babbu ji ……
तहदिल आभार आपका……Madhukarji…..
वह क्या खूब लिखा है ……………….द्वितीय और अंतिम पद ने तो ह्रदय को छु लिया …………बधाई हो आपकी सृजनात्मक्ता को !
आपके ह्रदय तक पहुंची….लेखनी को स्थान मिला….आप का तहदिल आभार…. Nivatiyaji…..
DRAVIT HUA HRIDAY IS KATHIT KATHAN SE
रोहितजी….पहले तो अभिनन्दन आपका….आप के मन को रचना छू गयी मेरा लिखना सफल हुआ….. कोटिश आभार………
Bahut khoob sir . Lajwab
तहदिल आभार आपका……Arunji…..
बहुत ही बेहतरीन………..
लाजवाब रचनात्मकता………… शर्मा जी….
तहदिल आभार आपका काजलजी….आप की रचनाएं पढ़ने का आनंद आज कल नहीं मिल रहा…..भगवान् से दुआ है सब खैरियत रहे….
उठी अंगुली कभी कलम हरेक ख्याल पे मगर…
सरे आईना अक्स मेरा नहीं अपने आकार में….
andaaje bayaan anokha hai – Babbu ji.
तहदिल आभार आपका…….raquimaliji………
Behad khubsurat bhav samete …., Ati sundar gazal ……….,
तहदिल आभार आपका…..Meenaji…..