आज विश्वास बोल रहा हैे, अच्छा लग रहा होगाक्योंकि माज़ी की यादों का घमाघम हो रहा है।पर सोचकर कि न जी पाएंगे उस रुत को कभी अबयहां दिल का मौसम नम हो रहा है।।
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लाज़बाब विवेक जी ………माजी की बात हो तो आँखे नम होना लाज़मी है ।
धन्यवाद मान्यवर।
bahut hi sundar vivek ji
धन्यवाद मान्यवर
कड़वा सत्य को जागृत किया है आपने….
धन्यवाद मान्यवर।
bhut hi sundar aur bhauk kr dene wali panktiya………….
धन्यवाद मधु जी।
वो जज्बात कहाँ आ पाते है. दुनियादारी हावी हो जाती है. बेहद सुन्दर
बिल्कुल सही कहा आपने । यादें यादें यादे… बस यादे रह जाती हैं।
Bahut hi sundar…
धन्यवाद अनु जी।
यादें खट्टी मीठी सब साथ चलती हैं बहती….हां जब ज़िन्दगि कि सरिता पल भर को ठहरती है अपनी पहचान को तो पन्ने पलट जाते हैं……..भावों को समेटे बेहद सुंदर रचना…..
बिल्कुल सही। सातत्य ही जीवन है। बस कभी सिंहावलोकन भावुक कर देता है।
बहुत सुन्दर………….
आपका अभिनन्दन मान्यवर।