तुम्हारे ही जीवन पर है अधिकार किसका ? तुम्हारा ? बिलकुल नहीं. तुम प्रयास करो सज्जन बनकर जहाँ में प्यार व् करुणा बाँटने का. सावधान ! तुम्हारे सर पर कोई , खंजर लेकर खड़ा है. तुम यदि चाहो जीवन में ऊँचा उठने को, कामयाबी पाने को , देखो ! तुम्हारी राहों में कोई कांटे बिछा के बैठा है. किस भरोसे तुमने घर के दरवाज़े बंद नहीं किये ? यह कोई राम राज्य नहीं. एहसास तुम्हें तभी होगा की कोई , धन व् साजो-सामान तो छोड़ो , तुम्हारे घर की इज्ज़त कोई पिशाच लूट के ले गया. अपनी बर्बादी से टूटे हुए ,थके हुए , रोते-बिलखते कोई कन्धा जब तुम तलाश करो , पहले तो वोह मिलेगा ही नहीं. और यदि मिला भी तो मालूम होगा , वोह किसी अपने रुपी शत्रु का है. तुम नींद से जागो मित्र ! इस दुनिया में तुम्हारा कुछ भी नहीं ,कोई भी नहीं. यह खुनी,दरिन्दों ,नर -पिशाचों ,मानव रुपी भेडियों की दुनिया है. तुम्हारी नहीं. जब यहाँ तुम्हारी और तुम्हारे प्यारों का जीवन सुरक्षित नहीं. तो यह जीवन तुम्हारा कैसे है?
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bahut khub Anu……kadawa satya hai, ish farebi dunian me jeena badi hi muskil aur badi hi jujharu hai……
खुबसूरत आत्मचिंतन ……………।।
anu ji agar duniya mein kisi pe bharosha inshan na kare to ye duniya chalegi kaishe .bharosha to karna hi hoga aur sath satark bhi rahiye
प्रेम रहित व बँटे हुए समाज पर सही कटाक्ष
Bahut sunder aaram Chintan…kataaksh aaj ke samaaj par…… Par zindagi agar jeeni hai Sahi roop mein toh Apne oopar vishwaas rakhna hi hai…..Subha toh Hoti hi hai….atal Satya hai saath mein yeh…….
लाजवाब……
वर्तमान की वास्तविकता प्रति सचेत करती सुन्दर अभिव्यक्ति ।