धुंधलका यादों काधुंधलका यादों का छटने लगा हैजैसे पर्दा सा कोई उठने लगा हैहैं बीती बातें जाने कितनी पुरानीपरत दर परत सब खुलने लगा हैआती हैं याद वो सावन की झाड़ियांसोंधी २ सी वो मिटटी की खुशबूलहराते हुए खुजूर के पेड़ ,और होना चाँद के रूबरूबीत गया समय जाने कब कैसेउड़ गया तितलियों के जैसेकंपकंपाती सर्दियों मेंधूप का मज़ा उठानाबागीचे में बैठ मूंगफलियां चबानाबारिश के मौसम में कश्तियाँ बहानायाद आता है अक्सर वह बचपन सुहानागर्मियों में चलना गर्म हवा काऔर रात की रानी का मंद मंद महकनाकरती थी मस्त हार श्रृंगार की खुशबूहोते ही सुबह फूलों को चुनलिखना ज़मीं पर नाम खुद काबातें हैं ये छोटी छोटी बहुतमुश्किल है मगर इनको भूलानातोड़ कच्ची अंबियाँ बागीचे से लानाऔर रसोई से नमक मिर्च भी चुरानाहै ताज़ा अब भी तस्वीर बीते दिनों कीशरारतों से भरे बीते लम्हों कीमुमकिन नहीं उन पलों में लौट जानालगता है अब था कोई सपना सुहाना
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bachpan ki yado ko taja kari sundar rachna
अरुण जी बहुत 2धन्यवाद
BAHUT KHUBSURAT …. BACHPAN KO YAAD DILATA ………. SARARATON KE PICHHEY BHAGTA….. BAHUT KUCHH …. KIRAN JEE…….
sharma JI bahut 2 dhanyawad
Bahut sundar rachna…Kiran ji…bachpan ki yaaden taja hogayi….
Anu JI bahut bahut dhanyawad
Ati sundar Kiran ji.
Shishir JI Sarahna ke liye aabhari hoon ,dhanyawad
Bachpan ki yaaden hoti hi aisi hain ,Kuchh khatti Kuchh meethee Sarah a ke liye ,Anu JI bahut 2 dhanyawad