अगर मान ली हार तो जीवन व्यर्थ हैसफ़ल होना हो तो अंतिम साँस तक लड़ोदुनिया बदलनी हो तो उसे गहराई में पढो,मंज़िल की चाह के बिना आगे बढ़ोऔर चाहते हो अगर कुछ पाना , तो डट के अडोपाना हो कुछ ज़िन्दगी में तो तरीके बदलो इरादे नहीं क्योंकि अगर मानी हार तो मतलब वो चाहिए था ही नहींज़िन्दगी शुरू होती है वहाँ जहा अंत होता है आराम का लड़ने के लिए हालतो से मौका बनाओ एक काम कातू चल इस कदर किजहाँ डाले हाथ वहाँ फाड़ देकोई आ जाए सामने तो उसे पछाड़ देघुस जा जंगल मेंऔर यूँ दहाड़ देकि डरके धरती अपने अंदर से निकाल एक पहाड़ दे यह जीवन दिया है जिसने दिया इसका कुछ अर्थ हैऔर अगर मान ली हारतो जीवन व्यर्थ हैद्वारा – मोहित सिंह चाहर ‘हित’
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अच्छी. रचना बहुत खुब
सुंदर……….शब्द चयन और लय पे ध्यान देने की ज़रुरत है……
अति उम्दा
behtreen rachana…………….
Sunder rachana………………..
nice thought …….!