मै मुसलिम हूँ, तू हिन्दू हैं ………..हैं दोनो इंसानला मै तेरी गीता पढ लूँ , तू पढ ले मेरी कुरान
ना मैने अपना अल्लाह देखाना देखा तूने भगवानहम दोनो ही हैं उसके बंदेएक मालिक की संतानधर्म नर बांटे, कर्म ने बांटेसमाज में फैले भ्रम् ने बांटेदो हिस्सो में बंट गया मेरा हिन्दुस्तांज़हां मै ज्यादा तू कम, हुआ वो पाकिस्तानबीच हमारे दीवार खडी हैंदेखा हमे वो हसी पड़ी हैंना मुहम्मद बांटे, ना बांटे रामदेखो बंट गया इंसानन मस्ज़िद टूटी, न मांदिर टूटाबस टूट रहा विश्वासमै मुसलिम हूँ, तू हिन्दू हैंहैं दोनो ही इंसान
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Pl read my related poem
‘Sri ram mere hain’
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bahut sundar……………
Bahut sundar…
Bahut sunder………………..
सुंदर अभिव्यक्ति ……………………….आज ऐसी सोच की आवश्यकता है !