Homeजॉन एलियाबेदिली क्या यूँ ही दिल गुज़र बेदिली क्या यूँ ही दिल गुज़र विनय कुमार जॉन एलिया 26/03/2012 No Comments बेदिली! क्या यूँ ही दिन गुजर जायेंगे सिर्फ़ ज़िन्दा रहे हम तो मर जायेंगे ये खराब आतियाने, खिरद बाख्ता सुबह होते ही सब काम पर जायेंगे कितने दिलकश हो तुम कितना दिलजूँ हूँ मैं क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे Tweet Pin It Related Posts क्या तकल्लुफ करे ये कहने में अब जुनू कब किसी के बस में है उम्र गुज़रेगी इंतहान में क्या About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.