तूफानों में ही रिश्तों की ताकत का पता चलता है आवरण धुलने पर मैल असली बाहर निकलता हैछुपी गन्दगी दिलों की जब दो आँखों के सामने होमजबूरी के ऐसे रिश्तों में फिर स्नेह नहीं पलता है शिशिर मधुकर
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बहुत अच्छा लिखा शिशिर जी .व्यवहारिक बातों बड़ी सरलता से शब्दों में ढालते हैं आप ..
आपके वक्तव्य के लिये दिल से शुक्रिया मीना जी……
Bahut hi sundar…
Dhanyavaad Anu ……….
behad khoobsoorat……………….
Tahe dil se shukriya Babbu ji …….
ekdam hkikt bat byan ki hai apne sir……………..
Dhanyavaad Madhu ji ………
बहुत सूंदर…………………..
मन को शुद्ध रखिये रंग चढ़े फिर आप,
कलुषित मन हर रंग में नहीं दिखे है साफ़.
Tahe dil se shukriya Vijay ………
सात्विक और भौतिक प्रेम का विवेचनात्मक सुन्दर स्पष्टीकरण ………..अति सुंदर !
Bahut bahut dhanyavaad Nivatiya ji ………
Saty sundar aur wyawaharik bath kaha aapne sir
Haardik aabhaar Arun……..
ऊंची और खूबसूरत बात, बदिया.
Tahe dil se shukriya Bindu ji ………