शिलशिला ये प्यार का चल रहा जमाने सेरिश्ते खुद ही बन जाते दिल को मिलाने से । मॉ हो या मेहबूबा कोई फर्क नहीं पड़तारंग और भी निखर जाती उसे निभाने से । कोइ्र दोस्त हो या फिर और कोइ्र बेगानाबन तुम्हारे जायेंगे सिर्फ उसे अपनाने से । बस खोट न हो मन में ये तुम्हे ख्याल रहेरिश्ते चमकते ही रहेंगे उसे और सजाने से । हीर रांझा हो या देश का सिपाही अपनापीछे हटते नहीं कभी मकसद भुनाने से । कोई ईश्वर कोई वतन से प्यार करता हैबिन्दु अब क्या – क्या कहे हर दिवाने से । बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा बिन्दु
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बहुत सुंदर गजल………………..
Thank you vijay jee…..
क्या ख़ूब लिखा है,श्रीमान जी
bahut bahut sukriya servesh jee……
Bahut sundar…
bahut bahut dhanyavaad anu jee…….
बहुत खूब ……….सुन्दर गजल शर्मा जी………………
Thanks a lot……..
Bhutan khoob likha Sharm ki Apne…per aaj kal koi Rushton ka mulye hi nahi samahjta …bada khed hota hai kabhi kabhi ye dekh kar..
bahut bahut dhanyavaad sir jee…….
bhaai bahut khoob Bindu Ji ………..
dhanyavaad sir jee…….
Bahut khubsurat gajal Bindu ji .
Dil se aabhaar meena jee…….
Beautiful………………….
सच्चाई की खोल दी है पोल, जमाने में
किसी को हँसाने किसी को में रुलाने में !!
Dil se aabhar……
lajwab
बहुत बहुत सुक्रिया….
Bahut khoobsoorat……….
बहुत बहुत दिल से आभार…
कोई ईश्वर कोई वतन से प्यार करता है
बिन्दु अब क्या – क्या कहे हर दिवाने से
Very Nice
Ali aapka bahut bahut pyar bhara dhanyavaad……