जब भी यह सवाल कोई पूछता है,मैं सोच में पर जाती हूँ,बात यह नहीं, कि मैं,उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,बात तो यह है, की,मैं हर उम्र के पड़ाव को,फिर से जीना चाहती हूँ,इसलिए जबाब नहीं दे पाती हूँ,मेरे हिसाब से तो उम्र,बस एक संख्या ही है,जब मैं बच्चो के साथ बैठ,कार्टून फिल्म देखती हूँ,उन्ही की, हम उम्र हो जाती हूँ,उन्ही की तरह खुश होती हूँ,मैं भी तब सात-आठ साल की होती हूँ,और जब गाने की धुन में पैर थिरकाती हूँ,तब मैं किशोरी बन जाती हूँ,जब बड़ो के पास बैठ गप्पे सुनती हूँ,उनकी ही तरह, सोचने लगती हूँ,दरअसल मैं एकसाथ,हर उम्र को जीना चाहती हूँ,इसमें गलत ही क्या है?क्या कभी किसी ने,सूरज की रौशनी, या,चाँद की चांदनी, से उम्र पूछी?या फिर खल खल करती,बहती नदी की धारा से उम्र पूछी?फिर मुझसे ही क्यों?बदलते रहना प्रकृति का नियम है,मैं भी अपने आप को,समय के साथ बदल रही हूँ,आज के हिसाब से,ढलने की कोशिश कर रही हूँ,कितने साल की हो गयी मैं,यह सोच कर क्या करना?कितनी उम्र और बची है,उसको जी भर जीना चाहती हूँ,एकदिन सब को यहाँ से विदा लेना है,वह पल, किसी के भी जीवन में,कभी भी आ सकता है,फिर क्यों न हम,हर पल को मुठ्ठी में, भर के जी ले,हर उम्र को फिर से, एक बार जी ले.. अनु महेश्वरीचेन्नई
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Very positive and lovely thoughts Anu. Very touching as well. …………
Thank You, Shishir ji…
क्या भाव पिरोये हैं…लाजवाब….और बहुत सही भाव हैं…..
Thank You, Sharmaji…”ईश्वर का प्रसाद” rachna ko bhi aapke comments ka intjar hai….
बेहद खूबसूरत रचना अनुजी……………………
Thank You, Shashikant ji…
बहुत ही सुंदर भावों से सुसज्जित.
Thank You, Vijay ji….”ईश्वर का प्रसाद” rachna bhi padhe and apne comment de…
behtreen bhav anu ji………….saty kathn……..
Thank You, Madhu ji…”ईश्वर का प्रसाद” rachna ko bhi aapke comments ka intjar hai….
waah, bahut acche bhaav……
Thank You, Shivdutt ji…
अति सुन्दर रचना,
Thank You, Sarvesh ji…
VASTAVIK JIWAN KE UTAR – CHADHAV KO AAP NE MEHSUSH KIYA … APNA AANTRIK BYATHA KO DIL SE BHAHAR NIKALA BAHUT BADI BAAT HAI ANU JEE. … SUNDER…
Thank you, Bindeshwar ji…
Bahut umda srijan Anu ji .
Thank You, Meena ji…
रचना के भाव से ही पता चलता है की आप की सोच कितनी परिपक्व और सकारात्मक है …………….अति सुंदर !
Thank You, Nivatiya ji…
It’s really nice. Real emotions and I think everyone can connect themselves with this thought.😊
Thank you, Sujata ji…
There is some problem in comment box. So I am publishing my this poem again