कृष्ण की बाल लीला को तो मानते होराम के बचपन को क्या तुम जानते होजैसे कृषणा बाल लीला मनमोहक हैवैसे ही राम का बचपन भी रोचक हैरामा बाल लीला की एक प्रसंग सुनाऊंभाव विभोर हुए बिना मैं रह ना पाऊंमाँ कौशिल्या बालक को नहलाई धुलाईकर सिंगार उसे पलना मे जाके सुलाईपूजा हेतु फिर उसने पकवान बनायाकुलदेवों को स्रद्धा से फिर भोग लगायागई माता बालक के पास तो देखा सोतेसंतुष्ट हो आई वापस मन मे खुश होतेहुई आवाक जो देखा उसने पूजा घर कोभोजन करते पाया जब प्रभु लीलाधर कोवापस आई दौड़ते देखा तुरत पलना कोनींद मे सोते पाया वहीं पर ही ललना कोदेखा इत उत उसने अपने सुत की काया कोसमझ न पाई कौशिल्या प्रभु की माया कोमां को तब अपना वह असली रुप दिखायासोची माता जगत पिता को बेटा पायाबेटा मुझको वचन ये दो तुम सुत ही रहनाव्यापक रूप को सदा अपने तक ही रखनाकहा तथास्तु राम ने फिर उन्हें सुलायाउठने पर कुछ याद न आई सभी भुलायामधु तिवारीं
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Bhagwan Ram ke bal leela prasang ko bahut sunder tarike se prastut kiya hai. Sunder rachana.
thanks vijay ji……………………………..
Very nice …Madhu ji…
thanks anu ji…………………
बहुत ही सुंदर………. सुंदर भावो से भरी रचना…..
thanks kajal ji…………………………..
balkon ki lila bhala maa se jyada kaun jan sakta hai…. bhakti bhav ko prerit karti pyar ki tanlipatata ko darsate bhagwan rupi krishna aur ram ……….bahut sunder madhu jee…….
thanks sharma ji……………………………
Bahut sundarta ke Ram ji ki baalyavastha ka varnan kiya Madhu ji ati sundar ………,
thanks meena ji…………………………..
Ati sundar Madhu ji …….
thanks shishir ji…………………….
मनभावन…….मनमोहक…..मंतर मुग्ध करती……
thanks sharma sir………….
गजब ,बहुत सुन्दर लिखा हैं आपने
thanks arun ji…………………………….
सुन्दर रचना
thanks marut ji……………………………….
bahut sundar chitran Madhu ji…….
thanks sonit ji………………………………
बहुत सुन्दर मधु जी …..मनभावन चित्रण अक्सर ऐसे विषयो पर बहुत कम लेखन मिलता है इसके लिए आप बधाई के पात्र है ।
.इसका विस्तार अपेक्षित है ।
मेरी रचना चित्तचोर पर भी अपने विचार साझा करे ।
thanks sir ……utsahwardhan hetu………. mul rachana vistrit hai…….. sanchhep me post ki hu………awsy padhugi apki rachana …
search karke……….dekh nhi pai thi .