गर्मी के बहानेनीले नीले अम्बर का अब तक कोई छोर नहीतपते सूरज को जो ढक दे एसी घटा घनघोर नहीठंडी ठंडी जो हवा आ सके एसी कोई भोर नहीआसमां पर काली घटाओं का अब तक कोई शोर नहीआग उगलते सूरज को रोक सके एसी कोई डोर नहीलू के थपेड़ों मे जो नाच सके एसा कोई मोर नहीतर-बतर जो कर दे एसी झमाझम का दौर नहीपत्तियों की सरसराहट अब किसी ओर नहीकहत अनूप कविराय कूलर और एसी का चलता अब कोई जोर नही (अनूप मिश्रा )
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bhut sundar rachana anoop ji
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Bahut khub………………….
Bahut sundar…..
बहुत सुन्दर…………
bahut sunder anup jee…. aap jara dusaron ki rachnaon par bhi tipanian deyn…….
सूंदर………..
अति सुन्दर रचना
बहुत अच्छे …….।