ऊन्हे हमारा ऊनकी राहो मे नजरे बिछाकर रखना गवारा नही था वो ईस लिअ की वो शख्स हमारा नही था ऊनके बिना रहने के अलावा कोई चारा नही था और ऊन्के साथ रहने का दिल हमारा नही था तो क्या करते कुछ दिन अधूरा सा लगा हर एक शख्स बुरा सा लगा न निद आती थी न चैन मिलता था देखते थे जब ऊन्की तस्वीरे तो अच्छा लगता था हमे तो ऊन्से किआ हुआ प्यार सच्चा लगता था पर न जाने क्यो वो ख्फा हो गए हमसे हमे फिर एक भी बार नजरे मिलाने का मौका न दिआ । ।। कभी कहते थे वो की हर रह न पाएगे ये दर्द जुदाई का सह न पाएगे जाओगे जो तुम नजरो से दुर तो हम जी न पाएगे।।न जाने क्या हुआ जो न ऊन्हे हमारी याद आई न ऊन्की रब को परियाद आए ऊन्की सांसे भी सलामत है ऊन्की जुल्फे आज भी कयामत है ।।लौट कर जब याद तेरी आती है।। ।।हवा भी दास्तां ए मुहब्बत सुनाती है ।। ।।एक दबा तो दिदार करा दे ।। ।।बस येही कमी मेरी आखे दोहरा की है।। (गुरू देव सिह)
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ह्रदय के भाव अच्छे है ……शब्द संयोजन के साथ लय और टंकण त्रुटियों पर गौर करे ………..!!
bhav khoobsurat hai…… typing mistek jyaada hai
सुंदर………पर निवातिया जी के बातों पर ध्यान दे……….
सुंदर भावनाओं की अच्छी उपज…
Sundar bhav
khoobsoorat………..