ग़ज़ल-ये तुम क्यों भूल गएमैंने तुम से प्यार किया था…..ये तुम क्यों भूल गएतुमको सब कुछ मान लिया था ये तुम क्यों भूल गएसुबह थी तुम शाम थी तुम मेरे दिल की जान थी तुमसब कुछ तुझपर वार दिया था ये तुम क्यों भूल गएहर जन्म साथ निभाने का एक-दूसरे को अपनाने कासाथ मिलकर कसम लिया था ये तुम क्यों भूल गएहर पल तेरा साथ दिया तेरे हर सुख-दुख के लमहों मेंतेरे हर एक जख्मो को सिया था ये तुम क्यों भूल गएएक तरफ थे दुनियावाले एक तरफ दीवाना “पियुष”सांसों में तुमको बसा लिया था ये तुम क्यों भूल गएपियुष राज ,दुमका ,झारखण्डPoem.No- 64 (26 मई 2017)
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Very nice………..
Please look it -तुमको सब कुछ मान लिया ये तुम क्यों भूल गए & सुबह थी तुम शाम थी तुम मेरे दिल की जान थी ….. please change….
Nice
अति सुन्दर रचना!
बहुत ही खूबसूरत……………
Lovely creation ………………………!