किस्मत ना तो वरदान है,और ना ही यह फ़रमान है।जो ज़िए इसके सहारे,रास्ते ग़ुमनाम हैं।अनज़ान यूँ छोर हैं,ख्वाहिशों के शोर हैं।हाँकते फ़िरते मग़र वे, समझते की हम नूँर हैं।चल पड़े वे दो डगर,ज़नाब कह दिए की रास्ते तो दूर हैं।जो ज़िए इस ‘मत’ सहारे,वे ज़िन्दगी की धूल हैं।किस्मत का मतलब यह नहीं।कि कर्म कोई ना करें।मान ले यह हम सभी,हम नहीं ,बस हम नहीं।इसलिए इसके सहारे,बैठना बक़बाज़ है। सर्वेश कुमार मारुत
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Nice thoughts…….
धन्यवाद! श्रीमान जी
Beautiful very good sarvesh jee…..
आपका आभार
Very nice sarvesh ji
धन्यवाद! अरुन जी
बहुत ही सुंदर…………
धन्यवाद!
Achchhe vichar………………………….
धन्यवाद !श्रीमान जी
ati sundar…………….
धन्यवाद! आपको नमन
सुन्दर अभिव्यक्ति ………….कर्म सर्वदा प्रधान होता है …………….अहम् सदैव दुर्बलता की निशानी होती है !
आपका अति आभार ! श्रीमान जी
sarveshji…galti se aapki rachna mein comments likhe gaye shuklaji ki rachna ke…aap delete kar deejiyeaga……….